जनता दल यूनाइटेड के पूर्व विधान पार्षद प्रो. रणबीर नंदन ने कोरोना संक्रमण के इस गंभीर समय में भी विपक्षी दलों की राजनीति पर निशाना साधा है। प्रो. नंदन ने कहा कि वे राजनीति करने में व्यस्त हैं और सरकार महामारी की चपेट में आए लोगों की सेवा करने में। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी कहते हैं कि आपदा के समय में राजनीति नहीं, गरीबों के हित में किए जाने वाले कार्य की नीति पर काम होना चाहिए। बोलने वाले क्या बोलते हैं, इस पर ध्यान नहीं देते। लेकिन, एक भ्रम फैलाने की कोशिश लगातार की की जा रही है। उसको तोड़ा जाना जरूरी है।
प्रदेश में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच सरकार ने लॉकडाउन लगाने का साहसिक निर्णय लिया। इसके परिणाम भी सामने आए हैं। इस गंभीर समय में गरीब व जरूरतमंद लोगों के भोजन की व्यवस्था पहले की गई है। 38 जिलों के 411 रसोई केंद्रों से लगातार जरूरतमंदों को भोजन की व्यवस्था की जा रही है। सामुदायिक रसोई केंद्रों में बच्चों के लिए दूध की व्यवस्था की गई है। प्रो. रणबीर नंदन ने कहा कि सरकार टीकाकरण को लेकर इस कदर एक्टिव है कि 45 वर्ष या इससे अधिक उम्र के लोगों को उनके घर के पास टीका लगाने के लिए टीका एक्सप्रेस चलाने का निर्णय लिया है।
ग्रामीण इलाकों के लिए 700 से अधिक टीका एक्सप्रेस चलाए जा रहे हैं। इसके अलावा शहरी क्षेत्र में भी टीकाकरण की गति बढ़ाने के लिए इंतजाम किए गए हैं। प्रदेश के 18 नगर निगम व 20 नगर परिषद के 1437 वार्डों में टीका एक्सप्रेस के जरिए 45 वर्ष या इससे अधिक आयु के लोगों को टीका दिया जा रहा है। 121 वाहनों के जरिए अभियान चल रहा है। इसके अलावा आरटी पीसीआर टेस्ट को बढ़ाने के लिए हर जिले में सेंटर खोले जा रहे हैं। अभी चलंत जांच वाहनों के जरिए लोगों की जांच कराई जा रही है। आरटी पीसीआर को कोविड टेस्ट में सबसे अधिक प्रमाणिक माना जा रहा है।
प्रो. नंदन ने कहा कि सभी जिलों में कोविड केयर सेंटर, बच्चों के स्वास्थ्य के लिए पीकू व नीकू वार्ड को बेहतर बनाने और करीब 30 हजार डॉक्टर व मेडिकल स्टॉफ की नियुक्ति की जा रही है। ऑक्सीजन की उपलब्धता के लिए हर जिला के अस्पताल में व्यवस्था हो रही है। कोरोना काल में कोई भी भूखा न सोए, इसके लिए मुफ्त अनाज की व्यवस्था की गई है। प्रो. रणबीर नंदन ने कहा कि इस कोरोना काल में भी सरकार ने प्रदेश की बच्चियों के लिए बड़ा फैसला लिया है। अब प्रदेश के इंजीनियरिंग व मेडिकल कॉलेजों में 33 फीसदी सीटें बच्चियों के लिए आरक्षित होंगी। साइकिल देकर जिन बच्चियों को सरकार ने उच्च शिक्षा की दहलीज तक पहुंचाया,
अब उनके इंजीनियर-डॉक्टर बनने के सपने को पूरा करने की दिशा में यह मील का पत्थर साबित होगी। केंद्र सरकार को भी राज्य के इस फैसले को केंद्रीय संस्थानों में लागू कर महिला विकास को गति देनी चाहिए। प्रदेश की 38 इंजीनियरिंग कॉलेजों की 9275 और 10 मेडिकल कॉलेजों की 1125 सीटों में से बच्चियों के लिए 33 फीसदी सीटें बच्चियों के लिए आरक्षित होंगी। कोरोना काल में माता-पिता को गंवाने वाले बच्चों को परवरिश योजना के दायरे में सरकार ने लाने का निर्णय लिया है। सरकार काम कर रही है और विपक्ष के पास कहने को कुछ भी नहीं है। अनर्गल आरोप व भरमाने की राजनीति अब नहीं चलेगी, जनता सब जानती है।