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सुशासन सरकार में बच्चों की जान की कोई कीमत नहीं : तेजस्वी यादव

उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री ऐसे किसी जिम्मेदार व्यक्ति को बनाया जाए जो सजगए संवेदनशील व जि़म्मेवार हो। ना कि वो जो रोती बिलखती मांओं के क्रंदन के बीच मैच का स्कोर पूछे।

मुज्जफरपुर :नेता प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव एस.के.एम.सी.एच  अस्पताल में चमकी बुखार से हुई मृत्यु पर पीड़ीत परिवारो से मिलकर ढ़ाढस बढाया । उन्होंने  कहा कि  वर्तमान बिहार सरकार के अधीन स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। नीतीश सरकार ने मान लिया है कि नागरिकों की जान की कोई कीमत ही नहीं है और स्वास्थ्य सेवाएं देना, बीमारों का यथाशीघ्र उपचार और बीमारियों की रोकथाम उसके जिम्मे है ही नहीं। सब भगवान भरोसे छोड़ दिया है।
श्री तेजस्वी ने कहा कि जून-जुलाई में सरकारी लापरवाही के कारण चमकी बुखार से मुजफ्फरपुर में 500 से अधिक बच्चे भेंट चढ़ गए। सरकार का सारा ध्यान वास्तविक आंकड़ों को छुपाने और स्वास्थ्य व्यवस्था की दयनीय स्थिति पर पर्दा डालने पर ही रहा। अब फिर विगत 3-4 दिनों में चमकी बुखार से 8 बच्चें मर चुके है। अपनी जान गंवाने वाले सभी बच्चे एकदम गरीब परिवारों से थे। मुट्ठी भर अभिभावकों को ही मुआवजा मिल पाया है। बाकी गरीब परिवार इसके लिए दर दर की ठोकरें खा रहे हैं और अपने अधिकार में से ही कमीशन देने को बाध्य हो रहे हैं। मुजफ्फरपुर में पुन: चमकी बुखार ने 8 बच्चों से उनका जीवन छीन लिया जो दिखाता है कि बिहार सरकार इस क्षेत्र की इस समस्या के प्रति पूर्णत: असंवेदनशील है। 
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बिहार सरकार ने जून जुलाई की महामारी से ना कोई सबक सीखा और ना ही पुनरावृत्ति रोकने के ज़रूरी कदम उठाए।  पूरे राज्य के दयनीय अस्पतालों की भांति हर साल खबरों में बनने वाले एस.के.एम.सी .एच अस्पताल की स्थिति भी दयनीय है। यहां के डॉक्टर, कर्मचारी व मरीज़ ही प्रशासनिक और सरकारी लापरवाही की कलई खोल देते हैं। दवाओं,उपकरणों, सुविधाओं, जगह,बिस्तर, सफाई, सप्लाई और स्टाफ की भारी कमी है और सरकार हर जिम्मेदारी से भागते और हर कमी,देरी व आपराधिक लापरवाही पर पर्दा डालते नजर आती है।  2014 में तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जो आज भी केंद्र में स्वास्थ्य मंत्री हैं, ने एलान किया था कि मुजफ्फरपुर में एक और अस्पताल का निर्माण करवाया जाएगा। पर आत्ममुग्ध सरकार के असंवेदनशील गुरुर का यह प्रमाण है कि आजतक इस दिशा में एक पत्ता भी नहीं हिला है।
मुख्यमंत्री नागरिकों और मासूमों की जानों से खेलने का जुर्म स्वीकार करते हुए तुरंत इस्तीफा दें या स्वास्थ्य मंत्री को तुरंत बर्खास्त करें। स्वास्थ्य मंत्री ऐसे किसी जिम्मेदार व्यक्ति को बनाया जाए जो सजगए संवेदनशील व जि़म्मेवार हो। ना कि वो जो रोती बिलखती मांओं के क्रंदन के बीच मैच का स्कोर पूछे। 15 साल के मुख्यमंत्री बताए नीति आयोग की रिपोर्ट में खराब स्वास्थ्य सूचकांक में बिहार दूसरे नंबर पर क्यों है, सीएजी की रिपोर्ट बिहार की दयनीय स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल रही है। उस पर भी बोले। आपने 15 साल में चमकी बुखार की रोकथाम, उपचार और जागरूकता के लिए क्या किया?

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