जमुई : जमुई पिछड़ा जिला होने के चलते अनुसूचित जाति एवं जनजाति की संख्या ज्यादा है। अब भी यहां पर योजनाओं का लाभ नहीं मिल सका है। क्योंकि यहां कोई भी दल उतारते हैं तो वे केवल बाहरी होते हैं स्थानीय नहीं होते हैं। यहां के सांसद दिल्ली एवं जमुई लोकसभा क्षेत्र में कार्यालय भी खोलना मुनासिब नहीं समझते। केवल दलित -आदिवासी का वोट बटोरने के लिए बड़े-बड़े योजनाओं की घोषणा करते हैं। आज भी इस क्षेत्र के दलित आदिवासी की समस्या ज्यों का त्यों बना हुआ है उसे देखने और सुनने वाला कोई नहीं है।
पंजाब केसरी के संवाददाता कुछ विधानसभा क्षेत्रों के दौरा के क्रम में चकाई, झाझा और तारापुर के दलित-आदिवासी के घरों में पहुंचे तो लोगों का कहना था कि आरक्षण का लाभ लेकर हमलोग केवल वोट देते हैं इसके अलावा आजादी के बाद आज तक कोई भी सांसद वोट लेने के बाद दलित आदिवासी के घरों में आना अपने आपको शर्म महसूस करते हैं। वहीं कुछ लोगों ने बताया कि समाजसेवी ई. आई. पी. गुप्ता जो पान समुदाय से आते हैं वे कभी-कभी यहां आकर दलित आदिवासी के घरों एवं संविधान नायक भीमराव अम्बेडकर की मूर्ति पर माल्यार्पण करते हैं और बाबा साहब के बारे में बताते हैं।
स्थानीय समाजसेवी ई. आई.पी. गुप्ता सबसे बेहतर प्रत्याशी सिद्ध होंगे। क्योंकि ये एक ऐसे कर्मठ, जुझारू व समाजसेवी कार्यकत्र्ता हैं जिन्हें जमुई लोकसभा के हर जनता पहचानती है। इन्होंने अपने समुदाय के साथ-साथ आदिवासी समुदाय, मुसहर, रविदास सभी पोचपोनिया मतदाताओं के लिए बेहतर कार्य किये हैं। ये जमुई लोकसभा क्षेत्र का सम्यक एवं समग्र विकास चाहते हैं। इसलिए ये यहां की हर जरूरतमंद जनता की समस्या को निबटाने में हाथ बंटाते रहते हैं।
बिहार-झारखंड के पान समुदाय में इनकी अच्छी पकड़ है और इस समुदाय को इस बार अनुसूचित जाति में जोड़ा गया है। पूर्व कृषि मंत्री के छोटे पुत्र एवं चकाई के पूर्व विधायक सुमित सिंह वर्तमान सांसद चिराग पासवान के साथ चले गये हैं। यहां ज्यादात्तर प्रत्याशी बाहरी ही रहे हैं इसलिए यदि कोई दल ई. आई. पी. गुप्ता को प्रत्याशी बनाता है तो उसके लिए यह फायदे की बात होगी। यदि कोई भी पार्टी इन्हें टिकट देती है तो वर्तमान सांसद चिराग पासवान को टक्कर आसानी से दिया जा सकता है और उसे हराकर उस सीट पर विजय हासिल कर सकता है।