पटना,(पंजाब केसरी): लोजपा-(रा.) के वरिष्ठ नेता एवं समाजवादी आन्दोलन के विचारक डॉ. सत्यानंद शर्मा ने कहा कि नीतीश कुमार ना तो संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी,सोशलिस्ट पार्टी या समाजवादी युजन सभा (एस. वाई. एस) के सदस्य रहे है और नही समाजवादी आन्दोलन का हिस्सा रहे है।
इनका राजनीतिक उपज 1974 के छात्र आन्दोलन से हुआ है। जो लोग नीतीश कुमार को समाजवादी नेता बता रहे है वे समाजवादी आन्दोलन का इतिहास धूमिल कर रहे है। परिवारवाद एक कुरीति है। इंसान का दुर्गुण है। समाजवाद एक सिद्धान्त है जो समतामूलक समाज देश और राज्य बनाने के लिए कृत संकल्प है। नीतीश कुमार छात्र आन्दोलन के बाद लोकदल का हिस्सा रहे है।
इनका इतिहास समाजवादियों को प्रताड़ित करने का रहा है। जिस जार्ज फ़र्नान्डिस और शरद यादव ने नीतीश कुमार को नेता बनाया,मुख्यमंत्री बनाया उसी जार्ज फ़र्नान्डिस और शरद यादव को कितना प्रताड़ित किया इसे पूरा देश जनता है। नीतीश कुमार स्वार्थी,पद लोलुप और छदम राजनीतिज्ञ के परिचायक है यह आचरण और ऐसे दुर्गुणों का परिचायक व्यक्ति कभी समाजवादी नही हो सकता।
समाजवादी सिद्धान्तों के कितने पक्के होते थे,इसका जवलंत उदाहरण 1962 के केरल के थानु मुहिम पिल्लै की सोशलिस्ट पार्टी के सरकार से स्व.पिल्लै मुख्यमंत्री थे। छात्रों के प्रदर्शन पर लाठीचार्ज हुआ था, डॉ. राम मनोहर लोहिया ने थानु मुहिम पिल्लै से यह कहकर इस्तीफा मांगा था कि समाजवादी पार्टी का नारा रहा है कि लाठी-गोली की सरकार नही चलने देंगे।
हमारी सरकार यानी समाजवादी पार्टी की सरकार और समाजवादी नेता के मुख्यमंत्री रहते हुए प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज हुआ है इसलिए मुख्यमंत्री इस्तीफा करें। इस सवाल पर पार्टी टूट गई लेकिन केरला की सरकार को इस्तीफा करना पड़ा नीतीश कुमार की सरकार में लगातार आंदोलनकारियों पर लाठी-गोली बरसाए जा रहे है। नीतीश कुमार समाजवादी होते तो कब का इस्तीफा दे दिए होते।