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परिवार में भी महत्वहीन हो चुकें हैं उपेन्द्र कुशवाहा :उमेश सिंह कुशवाहा

पटना (पंजाब केसरी ) : पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा की धर्मपत्नी द्वारा शराबबंदी के समर्थन में दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए जद(यू.) के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने कहा कि शराबबंदी के विषय में अनाप-शनाप बयानबाजी करने से पहले उपेन्द्र कुशवाहा को कम से कम अपने घर में विचार-विमर्श कर लेना चाहिए।

पटना (पंजाब केसरी ) :  पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा की धर्मपत्नी द्वारा शराबबंदी के समर्थन में दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए जद(यू.) के प्रदेश अध्यक्ष  उमेश सिंह कुशवाहा ने कहा कि शराबबंदी के विषय में अनाप-शनाप बयानबाजी करने से पहले उपेन्द्र कुशवाहा को कम से कम अपने घर में विचार-विमर्श कर लेना चाहिए। एक तरफ उनकी धर्मपत्नी   मुख्यमंत्री   नीतीश कुमार जी के शराबबंदी कानून की सराहना करती है और दूसरी तरफ उपेन्द्र कुशवाहा शराबबंदी की आलोचना कर बिहार के करोड़ों महिलाओं की भावनाओं के खिलवाड़ करते हैं। इससे यह स्पष्ट जाहिर होता है कि अपने परिवार में भी उपेन्द्र कुशवाहा जी की स्वीकार्यता खत्म हो गई है। उनके राजनीतिक फैसलों और विचारों से उनके घरवाले भी असहमत और असंतुष्ट हैं। प्रदेश अध्यक्ष ने आगे कहा कि यह बेहतर होता की उपेंद्र कुशवाहा भाजपा के चरणों में नतमस्तक होने से पहले अपने परिवार वालों की सहमति प्रदान कर लेते लेकिन व्यक्तिगत महत्वकांक्षा के नशे में लीन उपेन्द्र कुशवाहा को किसी की भी परवाह नहीं है।   मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी ने जिस व्यक्ति को बिहार की राजनीति में पहचान दिलाई और कई बार उन्हें सम्मानजनक पद दिया, आज उसी व्यक्ति के खिलाफ उपेन्द्र कुशवाहा मोर्चेबंदी कर रहे हैं। आगे उन्होंने कहा कि हमारे नेता  नीतीश कुमार ने उन्हे वर्ष 2000 में विधायक बनाया, उसके पश्चात उन्हें विधानसभा का उपनेता एवं बाद में बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाने का काम किया वर्ष 2010 में वो आदरणीय नेता नीतीश कुमार जी के आशीर्वाद से राज्यसभा के सदस्य बने। उसके बाद भी वे हमेशा व्यक्तिगत स्वार्थ में हमेशा इधर-उधर आते जाते रहे। वर्ष-2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में स्वयं एवं उनकी पार्टी बुरी तरह पिट गये थे उसके बाद भी  मुख्यमंत्री ने उन्हे विधान परिषद का सदस्य बनाने का काम किया। परन्तु आज अपने व्यक्तिगत हित को साधने के लिए वो भाजपा के इशारे पर बिहार में दलित और शोषित समाज को भड़काने की कोशिश में लगें हुए हैं। हाल के दिनों में उपेन्द्र कुशवाहा द्वारा दिये गए बयानों से जाहिर होता है कि वह पूरी तरह से आरएसएस के चंगुल में फंस गए हैं और नागपुर के इशारे पर भाजपा के लिए परोक्ष रूप से काम कर रहे हैं लेकिन उन्हें यह सीधे तौर पर समझ लेना चाहिए कि बिहार की जनता होशियार है। समाज को भटकाने का उनका षड्यंत्र सफल नहीं होगा। लेकिन फिर भी हमलोगों को खुशी है कि उनके परिवार के लोग सच्चाई को समझ रहे है।

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