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विजेंद्र यादव ने तेजस्वी के पत्र का दिया जवाब, कहा- विकास योजना की निधि से ली गयी राशि का सदुपयोग नहीं हुआ

बिहार के योजना एवं विकास मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव द्वारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लिखे पत्र का जवाब देते हुए उनके इस आरोप को गलत बताया कि मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना की निधि की राशि का सदुपयोग नहीं हुआ है।

बिहार के योजना एवं विकास मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव द्वारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लिखे पत्र का जवाब देते हुए उनके इस आरोप को गलत बताया कि मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना की निधि की राशि का सदुपयोग नहीं हुआ है।
विजेंद्र ने तेजस्वी द्वारा पांच मई को लिखे पत्र का जवाब देते हुए कहा, ‘‘यह कथन सत्य नहीं है कि कोरोना महामारी के पहले चरण वर्ष 2020 में मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना की निधि से ली गयी राशि का सदुपयोग नहीं हुआ है। वास्तव में महामारी के पहले चरण में मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना मद से 181.41 करोड़ रूपये की राशि कोरोना उन्मूलन कोष में हस्तान्तरित की गयी थी जिसकी एवज में 179.96 करोड़ रूपये का व्यय किया गया है।’’
विजेंद्र द्वारा तेजस्वी को लिखे पत्र को बृहस्पतिवार को मीडिया को जारी किया गया। इसमें कहा गया, ‘‘मुख्यमंत्री को संबोधित आपका पत्र पांच मई को प्राप्त हुआ। आपने इस पत्र में मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना के अंतर्गत राज्य स्तर पर बजट में प्रावधान की गयी राशि कोरोना महामारी के रोकथाम एवं उपचार में लगाने के निर्णय के संबंध में कुछ बिन्दु उठाये हैं।’’
विजेंद्र ने कहा है कि मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना की संशोधित मार्गदर्शिका 2014 के अनुसार इस योजना का उद्देश्य शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में संतुलित क्षेत्रीय विकास लाने के लिए आधारभूत संरचनाओं का विकास है। इस योजना के लिए राशि का प्रावधान राज्य स्तर पर योजना एवं विकास विभाग के बजट में किया जाता है। यह योजना अपने वर्तमान स्वरूप में पूर्व में चलायी गयी विधायक ऐच्छिक कोष योजना से भिन्न है।
उन्होंने कहा कि विधानमंडल के सदस्य इस योजना के अंतर्गत किये जाने वाले आवश्यक कार्यों के बारे में सरकार को मात्र अपनी अनुशंसा भेज सकते हैं। उन्होंने कहा कि विधानमंडल के सदस्यों की अनुशंसाओं पर ही सम्पूर्ण राशि का व्यय करने का प्रावधान एवं बाध्यता नियमों में नहीं है तथा इस विषय में सरकार का निर्णय ही अन्तिम होता है।
विजेंद्र ने कहा कि मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना से दो करोड़ रुपये प्रति विधानमंडल सदस्य की दर से सामंजित कर कोरोना उन्मूलन कोष में हस्तान्तरित करने के पश्चात भी एक करोड़ रुपये प्रति विधानमंडल सदस्य की राशि उपलब्ध है जिसके अन्तर्गत विधानमंडल सदस्य अपनी अनुशंसा कर सकते हैं।
उन्होंने कहा इस बात को समझना होगा कि तीन करोड़ रुपये की सम्पूर्ण राशि की योजनाओं के लिए अनुशंसा करने का कोई विशेषाधिकार सदस्यों को नहीं है और इस बिन्दु पर कोई आपत्ति भी नहीं की आनी चाहिए। उन्होंने दावा किया कि कोविड-19 महामारी पर नियंत्रण के लिए आवश्यक उपकरण एवं सुविधाएं उपलब्ध कराना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है।
इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए कोरोना उन्मूलन कोष का गठन किया गया है। विजेंद्र ने कहा कि स्वीकृत योजनाओं से विभिन्न जिलों एवं चिकित्सा महाविद्यालय अस्पतालों में 50.04 करोड़ रूपये से आवश्यक सुविधाएं एवं उपकरण उपलब्ध कराये गये है। इसके अतिरिक्त 13.98 करोड़ रूपये की लागत से ऑक्सीजन गैस भंडारण के लिए टंकी भी लगायी गयी है। उन्होंने कहा कि विभिन्न जिला पदाधिकारियों के माध्यम से 29,8806 करोड़ रूपये की राशि कोरोना महामारी से लड़ने के लिए खर्च की गयी है।
अस्सी करोड़ रूपये की राशि बिहार चिकित्सा आधारभूत संरचना निगम के माध्यम से खर्च की गयी है। शव वाहनों का क्रय 273 करोड़ रूपये से किया गया है। कर्मचारी राज्य बीमा निगम अस्पताल, बिहटा को 23659 करोड़ रूपये की राशि दी गयी है। तेजस्वी को लिखे पत्र में विजेंद्र ने राज्य सरकार द्वारा कोरोना वायरस महामारी से मुकाबला करने के लिए चलाये जा रहे प्रयासों में सहयोग करने की अपील भी की है।
उल्लेखनीय है कि पांच मई को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लिखे अपने पत्र में तेजस्वी ने आरोप लगाया था कि कोविड-19 के पहले चरण 2020 में भी बिहार विधानमंडल के सभी सदस्यों के मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास मद से सैकड़ो करोड़ की राशि सरकार द्वारा ली गई थी लेकिन उसका सदुपयोग नहीं हुआ, इसलिए इस बार महामारी की गम्भीरता को देखते हुए ‘‘हम चाहते है कि इस राशि का सही उपयोग सुनिश्चित किया जाए।’’
तेजस्वी ने कहा था कि यह भी सुनिश्चित किया जाए कि जो दो करोड़ की राशि सरकार के नीतिगत निर्णय द्वारा ली जा रही है, वह बिहार विधानसभा सदस्यों की अनुशंसा पर उन्हीं के विधानसभा क्षेत्र में ही स्वास्थ्य संरचना, जीवन रक्षक दवाओं एवं जरूरी स्वास्थ्य उपकरणों के कार्यों के लिए खर्च की जायें, भले ही क्रय सरकार, स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन द्वारा की जाए।

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