बिहार के विपक्षी महागठबंधन से नाता तोड़ चुकी विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश साहनी ने रविवार को कहा कि उनकी पार्टी ने प्रदेश विधानसभा की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है और पार्टी के प्रथम सूची की घोषणा पांच अक्टूबर को जारी की जाएगी।
विपक्षी महागठबंधन में सीटों के बंटवारे से नाराज होकर इस गठबंधन से शनिवार को नाता तोड़ चुके साहनी ने आज भी महागठबंधन का नेतृत्व कर रहे राजद के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव पर प्रहार जारी रखते हुए कहा कि वे भविष्य में कभी तेजस्वी के साथ मिलकर राजनीति नहीं करेंगे। तेजप्रताप (तेजस्वी के बडे़ भाई) के साथ सोच सकता हूं।
उन्होंने कहा कि वे अपनी शर्तों पर चुनाव लड़ेंगे। अभी कुछ लोगों से बात चल रही है। फिलहाल हमने पार्टी के सभी पदाधिकारियों के साथ विमर्श के बाद सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। प्रथम सूची (पार्टी प्रत्याशियों की) की घोषणा पांच अक्टूबर को जारी की जाएगी।
पटना में पत्रकारों को संबोधित करते हुए साहनी ने बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी पर एकबार फिर अंधेरे में रखे जाने और पीठ पर छुरा घोंपने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद)के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव जी के विचारों से प्रभावित होकर हमने उनसे समझौता किया था और महागठबंधन में शामिल हुए थे पर अब राजद, लालू प्रसाद यादव जी की पार्टी नहीं रह गई है।
साहनी ने आरोप लगाया कि तेजस्वी ने उन्हें लोकसभा चुनाव में भी धोखा दिया था। दरभंगा लोकसभा सीट पर वार्ता हुई थी, लेकिन एक साजिश के तहत हमें खगड़िया लोकसभा सीट से चुनाव लड़नेपर मजबूर किया गया। बिहार विधानसभा के उपचुनाव में भी हमारे साथ छल किया गया। हर मामले में अपनी मनमर्जी करते रहे। हमेशा हमें नजरअंदाज किया गया।
उन्होंने तेजस्वी पर अपना प्रहार जारी रखते हुए आरोप लगाया कि जो व्यक्ति एक पार्टी और महागठबंधन को बरकरार नहीं रख सकता है वह बिहार कैसे संभालेगा?
साहनी ने कहा कि हमारे साथ 25 सीट एवं उपमुख्यमंत्री का वादा करके हमें अंधेरे में रखकर अंतिम समय में पीठ में छुरा घोंपने का काम किया। इसका बदला अति पिछड़ा समाज बिहार विधानसभा चुनाव में लेगा।
उन्होंने तेजस्वी पर प्रहार जारी रखते हुए आरोप लगाया कि जो व्यक्ति अपने बड़े भाई तेजप्रताप का नहीं हुआ, वह व्यक्ति बिहार के युवाओं का कैसे हो सकता है।
साहनी ने आरोप लगाया कि बिहार के तमाम उभरते हुए युवा नेता को तेजस्वी देखना नहीं चाहते है क्योंकि तेज तर्रार, युवा नेता से तेजस्वी को एलर्जी एवं डर है। लोकसभा चुनाव में माकपा को महागठबंधन में शामिल नहीं किया गया क्योंकि कन्हैया को टिकट देना पड़ता और कन्हैया अगर जीत जाते तो तेजस्वी के लिए खतरा बनते।