लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

मौसम के अनुकूल कृषि कार्यक्रम को जन-जन तक पहुंचाना हैः नीतीश कुमार

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नेक संवाद से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा जल-जीवन-हरियाली अभियान अंतर्गत जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम के तहत 30 जिलों में प्रथम वर्ष एवं 8 जिलों में द्वितीय वर्ष के कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नेक संवाद से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा जल-जीवन-हरियाली अभियान अंतर्गत जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम के तहत 30 जिलों में प्रथम वर्ष एवं 8 जिलों में द्वितीय वर्ष के कार्यक्रम का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं कृषि विभाग को विशेष तौर पर इस बात के लिए धन्यवाद देता हूं कि राज्य के सभी 38 जिलों में मौसम के अनुकूल कृषि कार्यक्रम की शुरुआत की गई है।प्रथम चरण में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पहले 8 जिलों में इसकी शुरुआत करायी गई थी और बचे हुए 30 जिलों में आज से इसकी शुरुआत कर दी गई है। 
आज के इस विशेष अवसर पर अन्य जगहों से जुड़ने वाले कृषि विशेषज्ञों, किसानों का मैं अभिनंदन करता हूं। उन्होंने कहा कि आज के कार्यक्रम में लघु फिल्म के माध्यम से जलवायु के अनुकूल कृषि कार्य के संबंध में कई जानकारियां दी गईं हैं। कृषि विज्ञान केंद्रों से जुड़कर किसानों ने अपने अनुभव साझा किए और इससे होने वाले फायदों के बारे में बताया जिसे जानकर खुशी हुई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2019 में जल-जीवन-हरियाली अभियान की शुरुआत की गई। इसमें 11 अवयवों को शामिल किया गया है। मौसम के अनुकूल कृषि कार्यक्रम तथा फसल अवशेष प्रबंधन भी इसमें शामिल है। उन्होंने कहा कि डा. मार्टिन क्रॉफ से हमारी मुलाकात फरवरी 2016 में हुई थी।
1607962076 bihar2
वर्ष 2018 में उनसे दोबारा मुलाकात हुई, जिसमें कृषि से संबंधित एक प्रोजेक्ट पर विस्तृत चर्चा हुई थी, उस दौरान मौसम के अनुकूल कृषि कार्य के बारे में हमने अपनी बात रखी। डा. मार्टिन क्रॉफ ने बिहार में मौसम के अनुकूल किए जा रहे कृषि कार्य की प्रशंसा की है, जिसे आपलोगों ने आज के कार्यक्रम में दिखाया है। बोरलॉग इंस्टीच्यूट फॉर साउथ एशिया के पूसा केंद्र में 150 एकड़ में कृषि कार्य को देखने के लिए मार्च 2016 में मैं वहां गया था। एक क्षेत्र में तीन फसलों के एक साथ उत्पादन को दिखाया गया था। उन्होंने कहा कि नई तकनीक यंत्रों के माध्यम से कटनी के बाद हो रहे सीधे बुआई के कार्य को भी आज कृषि विज्ञान केंद्रों पर दिखाया गया है, जिसे देखकर मुझे प्रसन्नता हो रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र में विकास के लिए हमलोगों ने कई कार्य किए हैं। 
कृषि रोडमैप की शुरुआत वर्ष 2008 में की गई और अभी तीसरा कृषि रोडमैप चल रहा है। इससे कृषि क्षेत्र में उत्पादन और उत्पादकता दोनों बढ़ी है। राज्य में 76 प्रतिशत लोगों की आजीविका का आधार कृषि है। बाढ़, सुखाड़ की स्थिति निरंतर राज्य में बनी रहती है। मौसम के अनुकूल फसल चक्र अपनाने से किसानों को काफी लाभ होगा। कृषि विभाग ने जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए सभी जिलों के 5-5 गांवों का चयन किया है, जिससे किसान जागरुक और लाभान्वित होंगे। जलवायु के अनुकूल कृषि से किसानों की लागत में कमी आती है और उन्हें अधिक लाभ होता है। 
मुख्यमंत्री ने कहा कि 19 जनवरी 2020 को जल-जीवन-हरियाली अभियान के पक्ष में 5 करोड़ 16 लाख से अधिक लोगों ने 18 हजार कि0मी0 से भी लंबी मानव श्रृंखला बनायी थी। 09 अगस्त 2020 तक 2 करोड़ 51 लाख वृक्षारोपण का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन उससे अधिक 3 करोड़ 48 लाख वृक्षारोपण किया गया। उन्होंने कहा कि 14 से 15 अक्टूबर 2019 को कृषि विशेषज्ञों का पटना में फसल अवशेष पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ, जिसमें फसल अवशेष के प्रबंधन को लेकर विस्तृत चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने कहा कि फसल अवशेष को जलाने की प्रवृति पंजाब से शुरु हुई और बिहार के सासाराम, कैमूर होते हुये अन्य जिलों तक पहुॅच गयी। पूरे बिहार में फसल अवशेष को जलाया जा रहा है। वर्ष 2019 से पराली जलाने के खिलाफ अभियान चलाया गया। उन्होंने मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि कृषि विभाग के वरीय अधिकारियों से हवाई सर्वेक्षण कराकर इसका आकलन करायें। 
फसल अवशेष को जलाना पर्यावरण के लिए घातक है। किसानों को पहले इसके लिए समझाएं। .षकों को इसके लिए जागरुक करने की जरुरत है। जो भी उनकी समस्या है उसका निदान किया जाएगा, उन्हें हर तरह से सहयोग दिया जाएगा। फसल अवशेष को जलाने की जरुरत नहीं है बल्कि किसान उस अवशेष का सदुपयोग करें इससे किसानों को फायदा होगा और उनकी आमदनी भी बढ़ेगी। फसल अवशेष जलाने से पर्यावरण को नुकसान हो रहा है साथ ही खेतों में फसल अवशेष जलाने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है। 
उन्होंने कहा कि फसल कटाई के वक्त खेतों में फसलों का अवशेष नहीं रहे इसके लिए रोटरी मल्चर, स्ट्रॉ रिपर, स्ट्रॉ बेलर एवं रिपर कम बाइंडर का उपयोग किसान करें। इन यंत्रों की खरीद पर राज्य सरकार किसानों को 75 प्रतिशत जबकि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अतिपिछड़े समुदाय के किसानों को 80 प्रतिशत अनुदान दे रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि धान अधिप्राप्ति का कार्य तेजी से किया जा रहा है। इस बार धान अधिप्राप्ति का न्यूनतम लक्ष्य 45 लाख मीट्रिक टन रखा गया है। उन्होंने कहा कि हम किसानों के हित में काम कर रहे हैं। किसानों को यह बात समझाने की जरुरत है कि फसल अवशेष को जलाने से पर्यावरण पर संकट उत्पन्न होगा और इस संकट से आने वाली पीढ़ी को समस्या होगी।
1607962092 bihar3
हमलोग बिहार में ऐसी आदर्श व्यवस्था बनाएंगे जिसका लोग अध्ययन करेंगे। जल-जीवन-हरियाली अभियान की चर्चा यूनाईटेड नेशन में भी हुई है। बिहार में अच्छे कार्यों की चर्चा देश के बाहर भी होती है। मौसम के अनुकूल कृषि कार्यक्रम को जन-जन तक पहुंचाना है। यह पांच वर्ष की योजना नहीं है। यह स्थायी कार्यक्रम है। अभी पांच वर्ष के लिए राशि आवंटित की गई है। जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि क्षेत्र के लिए यह योजना जरुरी है। उन्होंने कहा कि आज के कार्यक्रम के द्वारा जिन लोगों तक मेरी बात पहुंच रही है वे इस पर जरुर गौर करें। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री के समक्ष जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम पर आधारित एक लघु फिल्म प्रदर्शित की गयी। 
5 जिलों के कृषि विज्ञान केंद्रों यथा कृषि विज्ञान केंद्र भागलपुर, कृषि विज्ञान केंद्र जहानाबाद, कृषि विज्ञान केंद्र रोहतास, कृषि विज्ञान केंद्र सुपौल, कृषि विज्ञान केंद्र बांका से जुड़कर कृषि विशेषज्ञों ने जलवायु के अनुकूल कृषि कार्य के साथ-साथ नई तकनीक से प्रयोग किए जाने वाले संयत्रों की जानकारी दी। इन केंद्रों से जुड़कर किसानों ने मौसम के अनुकूल कृषि कार्य की शुरुआत होने से षि क्षेत्र में उन्हें मिल रहे फायदों के अनुभवों को भी साझा किया। कार्यक्रम को उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद, उपमुख्यमंत्री श्रीमती रेणु देवी, जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चैधरी, कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह, कृषि विभाग के सचिव डा. एन. सरवन कुमार ने भी संबोधित किया। 
इस अवसर पर मुख्यमंत्री के परामर्शी अंजनी कुमार सिंह, मुख्य सचिव दीपक कुमार, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार, योजना एवं विकास विभाग के सचिव मनीष कुमार वर्मा, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सचिव अनुपम कुमार, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल सिंह, निदेशक कृषि आदेश तितरमारे एवं अन्य वरीय पदाधिकारी उपस्थित थे, जबकि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पूर्व कृषि मंत्री डा. प्रेम कुमार, बोरलॉग इंस्टीच्यूट फॉर साउथ एशिया के प्रबंध निदेशक अरुण कुमार जोशी, डा. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, के कुलपति आरसी श्रीवास्तव, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के कुलपति अजय कुमार सिंह, बिल एण्ड मिलिंडा गेट्स फउंडेशन के प्रतिनिधि कृष्णन जी सहित वरीय वैज्ञानिकगण, कृषि विशेषज्ञगण, कृषकगण एवं विभागीय पदाधिकारीगण जुड़े थेA

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

three × 4 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।