पटना : उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने ट्वीट कर कहा कि झारखंड की मांग का विरोध करने वाले कहते थे कि बंटवारे के बाद बिहार में केवल लालू, बालू और आलू रह जाएगा। जबकि ये बातें बिल्कुल बेमानी लगती हैं। एनडीए सरकार में राज्य की विकास दर दहाई अंकों में बनी हुई है।
बंटवारे के बाद ही आइआइटी चाणक्य लॉ यूनिवर्सिटी, राजेन्द्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय को केंद्रीय दर्जा, नालंदा अन्तरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय और गया-मोतिहारी में दो नये केंद्रीय विश्वविद्यालयों की स्थापना जैसी बड़ी उपलब्धियां बिहार को हासिल हुईं। बंटवारा न किसी की लाश पर हुआए न अभिशाप बना।
आजादी के बाद कांग्रेस सरकारों ने औद्योगीकरण के नाम पर केवल उस दक्षिण बिहार पर ध्यान दिया गयाए जो अब झारखंड है। इससे बिहार के बाकी हिस्से काफी पिछड़े रह गए। जो लोग उस समय राज्य पुनर्गठन का विरोध कर रहे थे और धमकी दे रहे थे कि बंटवारा उनकी लाश पर होगा, वे आज पूरी तरह गलत साबित हुआ।
अब वे किस मुंह से झारखंड की जनता से वोट मांगते हैं। आंकड़े बताते हैं कि सन् 2000 में बिहार से अलग होकर अलग झारखंड प्रदेश का बनना दोनों राज्यों के लिए वरदान साबित हुआ। भाजपा हमेशा छोटे राज्यों के पक्ष में रही और पार्टी पहले से ही यह मानती थी कि बंटवारा बिहार के लिए हितकर होगा। आज झारखंड और बिहार, दोनों ही पूर्वी भारत में तेजी से विकसित होने वाले प्रदेश माने जाते हैं। दोनों को मोदी- सरकार की लुक-ईस्ट पॉलिसी का लाभ मिल रहा है।