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आशा पारेख का बड़ा बयान : नासिर हुसैन ऐसे इकलौते शख्स थे जिनसे मैंने प्यार किया

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बॉलीवुड की दिग्गज अभिनेत्री आशा पारेख की अदाकारा को आज भी लोग याद करते हैं। आशा पारेख ने अपने फिल्मी कैरियर के बहुत सारी शानदार और जबरदस्त फिल्में की है। आज भी आशा पारेख के उन जबरदस्त किरदारों का याद किया जाता है। ऐसा लगता है कि उन किरदारों को आशा पारेख से ज्यादा अच्छे से और कोई भी नहीं निभा सकता था। आशा पारेख ने बॉलीवुड के मशहूर अभिनेताओं के साथ काम किया है। और आशा पारेख की जोड़ी हर अभिनेता के साथ दर्शकों को पसंद आती थी।

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आशा पारेख ने अपनी जीवन में बहुत नाम, शोहरत और रुतबा कमाया है। मगर आशा पारेख के जीवन में एक जीवन साथी की कमी जरूर रह गई जो पूरी नहीं हो सकी। हाल ही में आशा पारेख ने अपने एक इंटरव्यू में कहा है कि दिवंगत फिल्मकार नासिर हुसैन ऐसे इकलौते शख्स हैं जिन्हें उन्होंने दुनिया में सबसे ज्यादा प्यार किया था।

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आपको बता दें कि आशा पारेख ने हुसैन की फिल्म ‘दिल देके देखो’ (1959) से फिल्मी दुनिया में कदम रखा था। आशा और हुसैन दोनों ने ही साथ में फिल्म ‘तीसरी मंजिल’ और ‘कारवां’ जैसी 7 फिल्मों में काम किया था। बॉलीवुड की गलियारों में आशा पारेख और नासिर हुसैन के रिश्ते किसे से भी छुपे हुए नहीं थे।

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दोनों के रिश्तों के बारे में सबको ही पता था। आशा पारेख और नासिर हुसैन के निजी संबंधों के बारे में कुछ बातें सामने आईं हैं वह भी आशा पारेख की आत्मकथा ‘द हिट गर्ल’ में सामने आई हैं।

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आशा पारेख ने अपने जीवन के प्यार के बारे में बात करते हुए कहा, ”हां, नासिर साहब ही एकमात्र ऐसे पुरुष थे जिससे मैंने प्यार किया। मेरे जीवन में जो लोग मायने रखते हैं, अगर उनका जिक्र मैं अपनी आत्मकथा में ना करूं तो फिर इसे लिखने का कोई अर्थ ही नहीं है।”

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आशा पारेख अपनी जिंदगी के इस नाजुक पहलू को बखूबी से सभांलने का वह पूरा श्रेय अपनी आत्मकथा के सह-लेखक खालिद मोहम्मद को देती हैं। आशा पारेख ने कहा कि खालिद मोहम्मद ने इसे सावधानीपूर्वक और बेहद गरिमापूर्ण ढंग से संभाला है। आशा पारेख ने इस बात का खुलासा किया है कि वह नासिर हुसैन को उनके परिवार से कभी भी अलग नहीं करना चाहती थीं, इसलिए उन्होंने शादी नहीं की।

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आशा पारेख ने कहा, ”मैं कभी भी घर तोड़ने वाली नहीं रही। मेरे और नासिर साहब के परिवार के बीच कभी कोई अनबन नहीं हुई। पुस्तक जारी होने के समय नुसरत (हुसैन की बेटी) और इमरान खान (नाती) को देखकर मुझे बहुत खुश हुई। मुझे लगता है कि मैंने अपने जीवन को गरिमापूर्ण रूप से और बिना किसी को तकलीफ पहुंचाए जिया है।”

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