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मुंबई: बॉलीवुड के कई सितारे हैं, जिन्होंने अपने माता-पिता के नाम को गर्व से ऊंचा किया। बॉलीवुड का एक अभिनेता , जिनके पिता पेशेवर क्रिकेटर थे। लेकिन मां उनकी एक्ट्रेस थे, बदौलत उनकी एक्टिंग की रास्ते को आसान किया।
बॉलीवुड के कई स्टार्स हैं। जिन्होंने अपने माता-पिता के नाम को गर्व से ऊंचा किया। बॉलीवुड का एक एक्टर, जिनके पिता क्रिकेटर थे। लेकिन मां की बदौलत उनकी एक्टिंग की राहें आसान हो गईं।
सिनेमा बैकग्राउंड से आए इस एक्टर ने अपने करियर की शुरुआत साल 1993 में की थी। रोमांटिक हीरो के किरदार निभाकर इस एक्टर ने खूब वाहवाही लूटी। लेकिन अब विलेन बनने के बाद इस एक्टर ने अपनी नई पारी की शुरुआत की। विलेन बनकर तो एक्टर ने लीड हीरो की भी छुट्टी कर दी थी। अपने हर किरदार में जान डाल देने वाले यह अभिनेता कोई और नहीं बल्कि सैफ अली खान थे।
फिल्मी बैकग्राउंड से आए इस एक्टर ने अपने करियर की शुरुआत साल 1993 में की थी। रोमांटिक हीरो के किरदार निभाकर इस एक्टर ने खूब तारीफ बटोरी। लेकिन अब विलेन बनने के बाद इस एक्टर ने अपनी नई पारी की शुरुआत की। विलेन बनकर तो एक्टर ने लीड हीरो की भी छुट्टी कर दी थी। बता दें कि यह हीरो कोई और नहीं बल्कि बॉलीवुड के नवाब कहे जाने वाले सैफ अली खान हैं
16 अगस्त 1970 को दिल्ली में जन्में सैफ अली खान अपना 54 वां जन्मदिन मना रहे हैं । अभिनय की कला विरासत में मिली। उनकी मां शर्मिला टैगोर फिल्म इंडस्ट्री की जानी मानी अभिनेत्री रही जबकि पिता नवाब पटौदी क्रिकेटर रहे हैं। घर में फिल्मी माहौल रहने के कारण उनका भी रूझान फिल्मों की ओर हो गया और वह भी अभिनेता बनने के ख्वाब देखने लगे। सैफ अली खान ने अपनी शिक्षा अमेरिका के मशहूर वेनचेस्टर कॉलेज से पूरी की। इसके बाद उन्होंने बतौर अभिनेता अपने सिने करियर की शुरूआत वर्ष 1992 में प्रदर्शित फिल्म परपंरा से की। यश चोपड़ा के निर्देशन में बनी यह फिल्म टिकट खिड़की पर असफल साबित हुयी।
वर्ष 1993 में सैफ अली खान की पहचान और आशिक आवारा जैसी सफल फिल्में प्रदर्शित हुयी। हालांकि फिल्म पहचान की सफलता का श्रेय अभिनेता सुनील शेट्टी को अधिक दिया गया। फिल्म आशिक आवारा में निभाये गये चरित्र के लिए सैफ नवोदित अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किये गये।सैफ अली खान के सिने करियर में वर्ष 1994 अहम साबित हुआ। इसी वर्ष उनकी ये दिल्लगी और मैं खिलाड़ तू अनाड़ जैसी फिल्में प्रदर्शित हुयी।दोनों फिल्मों में उनकी जोड़ अभिनेता अक्षय कुमार के साथ काफी सराही गयी। खास तौर पर फिल्म मैं खिलाडी तू अनाड़ में अक्षय कुमार और सैफ अली खान ने अपनी जोड़ के जरिये दर्शको का भरपूर मनोरंजन किया। इस फिल्म में उन पर फिल्माया गीत मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी दर्शकों के बीच काफी लोकप्रिय हुआ था।
वर्ष 1995 से 1998 तक का वक्त सैफ अली खान के सिने करियर के लिये बुरा साबित हुआ। इस दौरान उनकी यार गद्दार,आओ प्यार करें, दिल तेरा दीवाना, बंबई का बाबू,एक था राजा,तू चोर मैं सिपाही, हमेशा,उड़न,कीमत जैसी कई फिल्में बॉक्स ऑफिस पर असफल हो गयी। हालांकि इम्तिहान और सुरक्षा जैसी फिल्मों ने टिकट खिड़की पर औसत व्यापार किया लेकिन इनसे सैफ अली को कुछ खास फायदा नहीं मिला। वर्ष 1999 सैफ अली खान के सिने करियर का अहम वर्ष साबित हुआ। इस वर्ष उनकी कच्चे धागे, हम साथ साथ हैं जैसी सफल फिल्में प्रदर्शित हुयी। इन फिल्मों में सैफ अली खान के अभिनय के विविध रूप देखने को मिले। फिल्म कच्चे धागे में जहां सैफ अली खान ने संजीदा अभिनय किया वही हम साथ साथ हैं में उन्होंने अपने चुलबुले अंदाज से दर्शकों का दिल जीत लिया।
सैफ अली खान के पास करीब 5 हजार करोड़ रुपए की पैतृक संपत्ति है। जिसमें हरियाणा के पटौदी पैलेस के अलावा भोपाल में भी उनकी काफी प्रॉपर्टी है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सैफ अपनी इस संपत्ति में से अपने ही बच्चों बेटी सारा अली खान और बेटों इब्राहिम अली, तैमूर अली और जेह अली को हिस्से के रूप में फूटी कौड़ी भी नहीं दे सकते।
दरअसल, सैफ का लग्जरी हाउस पटौदी पैलेस 1968 के एनिमी डिस्पयुट एक्ट के अंतर्गत आता है और कोई भी ऐसी प्रॉपर्टी पर अपना हक नहीं जमा सकता। इस एक्ट के मुताबिक, जो लोग बंटवारे या 1965 और 1971 की लड़ाई के बाद पाकिस्तान चले गए और वहां की नागरिकता ले ली थी। उनकी सारी अचल संपत्ति एनिमी डिस्पयुट प्रॉपर्टी घोषित कर दी गई। अब कोई भी व्यक्ति इस प्रॉपर्टी पर हम जमाने के लिए हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट या प्रेसीडेंट ऑफ इंडिया तक जा सकता है लेकिन इसके बावजूद इस पर कोई भी एक्शन लेना काफी मुश्किल होगा।