लखनऊ : इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने बालीवुड फिल्म ‘पद्मावत’ की रिलीज के खिलाफ दाखिल प्रत्यावेदन पर निर्णय ना लेने पर सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी को अवमानना नोटिस जारी करते हुए तीन हपते में जवाब दाखिल करने को कहा है। न्यायमूर्ति महेंद्र दयाल की एकल पीठ ने कामता प्रसाद सिंघल नामक व्यक्ति की ओर से दायर एक अवमानना याचिका पर यह आदेश पारित किया। याचिका में कहा गया था कि याची ने विवादों से घिरी फिल्म को रिलीज करने से रोकने के लिए पूर्व में एक जनहित याचिका दाखिल की थी, जिस पर अदालत ने नौ नवम्बर 2017 को याचिका तो निरस्त कर दी थी लेकिन उन्हें यह अनुमति दी थी कि वह सिनेमैटोग्राफ सर्टिफिकेशन रूल्स 1983 के नियम 32 के तहत अपना प्रत्यावेदन पेश कर सकते हैं।
याची का कहना था कि उसने 13 नम्वबर 2017 को अपना प्रत्यावेदन सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष को प्रस्तुत कर दिया था, लेकिन अदालत की ओर से दी गयी तीन माह की मीयाद बीत जाने के बावजूद उनका प्रत्यावेदन आज तक नहीं तय किया गया। दरअसल याची की ओर से फिल्म को रिलीज करने के खिलाफ तर्क दिया जा रहा है कि फिल्म सती प्रथा को बढ़ावा देने वाली है जबकि सती प्रथा को बढ़ावा देना अपराध की श्रेणी में आता है। अदालत इस मामले की अगली सुनवायी फरवरी के दूसरे हफ्ते में करेगी।
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