बॉलीवुड एक्टर अक्षय
कुमार इन दिनों अपनी हालिया रिलीज राम सेतू को लेकर सुर्खियों में बने हुए है। राम
सेतू को दर्शकों से मिला-जुला रिस्पॉन्स मिल रहा है और यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर
अच्छी कमाई कर रही हैं। जब से इस फिल्म की घोषणा हुई है तभी से फिल्म लगातार किसी
ना किसी विवाद में घिरी रही है। वहीं फिल्म की रिलीज के बाद भी राम सेतू के मेकर्स
की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है।
फिल्म की घोषणा होते
ही बीजेपी लीडर और पूर्व
राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने फिल्म की टीम को नोटिस भेजा था। वहीं अब श्रीलंका
में रामायण अनुसंधान समिति के विभाग के प्रमुख ने इस फिल्म के मेकर्स पर आरोप
लगाये हैं उनका कहना है कि निर्माताओं ने उनकी परमिशन के बिना उनके काम और जीवन की
कहानी की नकल की है। इसी के साथ उन्होंने फिल्म के मेकर्स के खिलाफ कानूनी
कार्रवाई की मांग की।
अक्षय कुमार स्टारर राम सेतू का निर्देशन अभिषेक शर्मा ने किया है। इस फिल्म
की कहानी ‘रामसेतु‘ की तलाश में आधारित है। फिल्म में अक्षय ने आर्कियोलॉजिस्ट
का किरदार निभाया है जो राम सेतु से जुड़े तथ्यों की तलाश में निकलते हैं। फिल्म
की रिलीज के कुछ वक्त बाद ही श्रीलंका में काम करने वाले एक पंजाबी इतिहासकार और
2006 में गठित रामायण अनुसंधान समिति के विभाग के प्रमुख अशोक कुमार कैंथ ने फिल्म
निर्माताओं पर उनकी कहानी और उनके काम की नकल का आरोप लगाया है।
रामायण अनुसंधान समिति के प्रमुख ने हाल ही में दिए इंटरव्यू में कहा, उन्होंने
फिल्म देखी और अहम किरदार डॉ.आर्यन उनकी जीवन की कहानी पर आधारित थी। उन्होंने
आरोप लगाया कि उनके द्वारा किए गए शोध कार्य को उनकी अनुमति के बिना फिल्म में
उनकी वेबसाइट से लिया गया है। फिल्म का मुख्य किरदार भी उनकी जीवन की कहानी को पेश
कर रहा है कि उन्होंने श्रीलंका में रामायण तथ्यों के अस्तित्व की खोज कैसे की थी।
अशोक कुमार ने इस तरह बिना उनकी अनुमति के उनकी लाइफ पर फिल्म बनाने को कॉपीराइट
का मामला बताते हुए कहा, “फिल्म बहुत बेहतर होती अगर फिल्म निर्माता कई चीजों
पर चर्चा करने के लिए उनके पास आते क्योंकि मैंने सब कुछ जमीन पर किया है। अगर वो
मुझे विश्वास में लेते तो मुझे कोई आपत्ति नहीं होती।”
इसी के साथ उन्होंने दावा किया कि फिल्म के कुछ सीन ने लोगों की “धार्मिक
भावनाओं को ठेस पहुंचाई है।” वही फिल्म पर बैन लगाने की मांग करते हुए
उन्होंने कहा कि वह गृह मंत्री,
पीएमओ और सूचना एवं
प्रसारण मंत्री सहित उच्च अधिकारियों के पास जाएंगे। अगर कोई उनकी बात नहीं सुनेगा
तो वो सीधा कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।‘