जिस तरह भारत में लता मंगेशकर , आशा भोसले गायकी के क्षेत्र में सबसे बड़े नाम है उसी तरह पाकिस्तान में नूरजहां सबसे लोकप्रिय सिंगर रही है। अब नूर जहाँ भले ही इस दुनिया में नहीं है पर उनके किस्से और गायकी आज भी लोगों की जुबान पर आ ही जाते है।
1930 से 1990 यानी करीब 7 दशकों तक पाकिस्तान की सिंगिंग इंडस्ट्री पर राज करने वाली सिंगर नूरजहाँ का जन्म 21 सिंतबर, 1926 को हुआ था और इनका असली नाम अल्लाह राखी वसाई था। कहां करोड़ों दिलों पर अपनी आवाज का जादू चलाने वाली नूरजहाँ को पाकिस्तान में मल्लिका-ए-तरन्नुम का खिताब भी दिया गया था।
नूरजहां के बारे में लिखे गए पुराने लेखों के मुताबिक़ नूरजहाँ अपने काम को लेकर इतना समर्पित थी कि अपनी गायकी में दिल, आत्मा और दिमाग सब कुछ लगा देती थी पर इससे अलग भी एक दुनिया थी जिसके किस्से उनके समय से ही मशहूर रहे है।
नूरजहां की एक दोस्त थी फरीदा खानम जो ज्यादातर उनके साथ रहती थी। जब दोनों गायिकाएं अपनी कार से निकलती थी तो नौजवान लड़कों के सामने से गाड़ी धीरे कर लेती थी ताकि वो उन्हें जी भर के देख सके।
कपड़ों को लेकर भी नूरजहां काफी चर्चा बटोरती थी। काफी डीप गले का ब्लाउज पहनने की शौक़ीन नूरजहां को कोई परवाह नहीं होती थी की उनके पीछे बैठे शख्स को क्या दिख रहा है। रिकॉर्डिंग के वक्त उन्हें सिर्फ और सिर्फ अपना काम दिखाई देता था।
अपने आपको गायकी के क्षेत्र में ऊंचाइयों पर पहुंचाने के लिए नूरजहाँ ने बहुत मेहनत की और अपनी मनमुताबिक जी। हर किसी की तरह इनकी जिँदगी में भी उतार चढ़ाव आये पर वो बढ़ती रही। शादियां , तलाक , प्रेम सम्बन्ध , शोहरत सब कुछ इस मशहूर सिंगर ने देखा पर आखिरी वक्त बेहद तकलीफ भी झेली।
एक इंटरव्यू में नूरजहां से पुछा गया था की उनके कितने आशिक रहे हैं अब तक? ”तो आधे सच ही बता दीजिए” जिसपर उन्होंने बेबाकी से गिनते हुए जवाब दिया अब तक सोलह ! पंजाबी में टिपण्णी करते हुए नूरजहां बोली ”हाय अल्लाह! ना-ना करदियां वी 16 हो गए ने!”
पाकिस्तान के टेस्ट क्रिकेटर नजर मोहम्मद और नूरजहां के लव अफेयर के किस्से आज भी मशहूर है। एक वाकये के अनुसार नूरजहां के पति ने एक बार उन्हें पर नजर मोहम्मद को काम रे में रंगे हाथ पकड़ लिया था जिसके बाद नजर मोहम्मद को पहली मंजिल की खिड़की से नीचे छलांग लगानी पड़ गयी थी और उन्होंने अपना हाथ तुड़वा लिया था।
बताया जाता है की नूरजहां को पुरुष बहुत पसंद थे पर अपने निजी मूल्यों को उन्होंने कभी ताक पर नहीं रखा। साल 1998 में पाकिस्तान को सदमा लगा जब ये खबर आयी की नूरजहां को दिल का दौरा पड़ा और उनका निधन हो गया। उनके निधन पर मशहूर पाकिस्तानी पत्रकार खालिद हसन ने लिखा था- ”दिल का दौरा तो उन्हें पड़ना ही था। पता नहीं कितने दावेदार थे उसके! और पता नहीं कितनी बार वह धड़का था उन लोगों के लिए जिन पर मुस्कराने की इनायत की थी उन्होंने।”