इन दिनों देश में लव जिहाद को लेकर बहस छिड़ी हुई है। इसी बीच बॉलीवुड के दिग्गज संगीतकार वाजिद खान की पत्नी कमलरुख ने एक चौंकाने वाला खुलासा कर दिया है। हाल ही में एंटी कन्वर्जन लॉ पर एक लंबा चौड़ा पोस्ट कमलरुख ने इंस्टाग्राम पर लिखा है।
दिवंगत संगीतकार की पत्नी ने जो दर्द इंटरकास्ट मैरिज में मिला है उसके बारे में उन्होंने इस पोस्ट में जाहिर किया है। अपनी पोस्ट में उन्होंने लिखा कि, उनके ससुराल के लोग वाजिद के निधन के बाद इस्लाम धर्म जबरदस्ती कबूलने के लिए कह रहे हैं। कमलरुख के इस खुलासे के बाद अब एक्ट्रेस कंगना रनौत ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करी है।
कंगना ने हर मामले में अपनी बेबाकी से राय रखी है। वहीं अब पीएमओ से सवाल करते हुए कंगना ने अपने ट्वीट में लिखा, इस देश में पारसी अल्पसंख्यक हैं। वह देश पर कब्जा करने नहीं आये थे वह यहां तलाश में आये थे और उन्होंने बहुत आराम से भारत माता का प्यार मांगा था। इनकी छोटी सी जनसंख्या ने हमारे देश की सुंदरता, वृद्धि और आर्थिक मामलों में बहुत बड़ा योगदान दिया है।
कंगना रनौत ने अपने ट्वीट में आगे लिखा, यह मेरे दोस्त की विधवा हैं जिन्हें परिवार परेशान कर रहा है। मैं प्रधानमंत्री मोदी से पूछना चाहती हूं कि अल्पसंख्यक लोग जो ड्रामा नहीं करते, किसी का सिर कलम नहीं करते, दंगे और धर्म-परिवर्तन नहीं करते, उन्हें हम कैसे सुरक्षित रख सकते हैं? पारसियों की कम होती संख्या भारत के कैरेक्टर के बारे में बड़ा खुलासा करती है।
कंगना ने अपने अन्य ट्वीट में लिखा, मां का वो बच्चा जो सबसे ज्यादा ड्रामा करता है उसे अटेंशन और फायदे मिलते हैं और जो ये सब पाने के लायक है उसे कुछ नहीं मिलता। हमें सोचने की जरूरत है। #anticonversionbill
बता दें कि, सोशल मीडिया पर दिवंगत संगीतकार साजिद खान की पत्नी ने इमोशनल पोस्ट लिखते हुए कहा, मेरा नाम कमलरुख खान है और मैं दिवंगत संगीतकार वाजिद खान की पत्नी हूं। उनसे शादी करने से पहले मैं उनके साथ 10 साल के रिश्ते में थी। मैं पारसी और वह मुसलमान थे। हम वही थे जिसे आप “कॉलेज स्वीटहार्ट्स” कहेंगे। हमने विशेष विवाह अधिनियम के तहत शादी की। यही कारण है कि धर्मांतरण विरोधी बिल की बहस के बीच यह बहुत दिलचस्प है। मेरी परवरिश ऐसे पारसी परिवार में हुई है जहां सभी लोग पढ़े-लिखे और खुलकर लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात कह सकते हैं।
अपनी पोस्ट में कमलरुख खान आगे लिखती हैं कि, हालांकि, शादी के बाद यही स्वतंत्रता, शिक्षा और लोकतांत्रिक मूल्य प्रणाली मेरे पति के परिवार के लिए सबसे बड़ी समस्या बन गई थी। उन्होंने पढ़ी-लिखी और आजाद महिला को स्वीकार नहीं किया और धर्मांतरण का दबाव बनाने लगे। मैं हर किसी धर्म का सम्मान करती हूं, लेकिन इस्लाम में परिवर्तित होने के मेरे प्रतिरोध ने मेरे और मेरे पति के बीच की दूरियों को काफी बढ़ा दिया था। यहां तक कि इतना मुश्किल हो गया था कि हमारे पति-पत्नी के रिश्ते खराब हो गए।