वेब सीरिज ‘द एम्पायर’ में बाबर जैसे जटिल किरदार को निभाकर अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाने वाले प्रतिभाशाली एक्टर कुणाल कपूर ने कभी सोचा भी नहीं था कि वे अभिनय की दुनिया में कदम रखेंगे। वे तो बॉलीवुड में किसी न किसी रूप में बस जुड़े रहना चाहते थे। इसलिए उन्होंने अपनी शुरुआत बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर की।
उनका कहना है कि वर्तमान परिदृश्य में ऑनस्क्रीन कलाकारों के लिए बेहतरीन समय है क्योंकि एक्सप्लोर करने के लिए कई सारे माध्यम हैं। उन्होंने कहा कि कुछ साल पहले ऐक्टर बनना, खासकर तब जब आप आउटसाइडर हों, बेहद मुश्किल था।
कुणाल ने बताया कि 2004 में ‘मीनाक्षी- अ टेल ऑफ थ्री सिटीज’ में डेब्यू से पहले लोगों ने उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में एंट्री करने से मना किया था। उन्होंने बताया, ‘मैंने जब शुरुआत की, कई सारे लोगों ने कहा कि ऐक्टर मत बनो क्योंकि आउटसाइडर्स के लिए काफी मुश्किल होता है। फिर 2006 में ‘रंग दे बसंती’ की रिलीज के बाद बड़ी चीज था। फिर फिल्ममेकर्स कहने लगे, ‘वह गायब हो गया, वह खत्म है।’ और अब कई मेकर्स हैं जो मुझ कॉल करके कहते हैं, ‘आप इंट्रेस्टिंग ऐक्टर हो, हम आपके साथ और काम करना चाहेंगे।’ यह पूरी साइकल है जिससे आप ऐक्टर के तौर पर गुजरते हो।’
कुणाल मानते हैं कि इंडस्ट्री अस्थिर है और इस बात पर जोर देते हैं कि यहां धारणाएं बहुत जल्दी बदलती हैं। उन्होंने कहा, ‘महीनेभर पहले कुछ फिल्ममेकर्स थे जिन्हें नहीं लगता था कि मैं उस पार्ट का हिस्सा हो सकता हूं जिसे वे लिख रहे हैं। अब उनमें से कुछ कॉल करके पूछते हैं, ‘क्या आप उस पार्ट को सुनने में दिलचस्पी रखते हैं।’ यहां तेजी से चीजें बदलती हैं।”
कुणाल कहते हैं कि आउटसाइडर होना फिल्मों में चैलेंजिंग होता है लेकिन यह पहले के मुकाबले कम है। उन्होंने कहा, ‘आपके पास जो ऑप्शन था, वह यही था कि अगर आप लीड ऐक्टर नहीं हैं तो आप सपॉर्टिंग ऐक्टर बनकर रह जाएंगे और फिर विलन। एक आउटसाइडर होने पर आपको दोस्तों और परिवार का सपॉर्ट सिस्टम नहीं होता जो करियर पुश करने में आपकी मदद करे। वैसा कुछ नहीं होता।’