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फिल्म रिव्यू : 3/5 रेटिंग के साथ ‘इंदु सरकार’ एक सफल फिल्म बनने की ओर

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आज मधुर भंडारकर की बहुप्रतीक्षित और विवादों से घिरी फिल्म ‘इंदु सरकार’ बड़े परदे पर रिलीज़ हो गयी। ये फिल्म साल 1975 में देश में इमरजेंसी काल के मुद्दे को लेकर बनायीं गयी थी जिसके रिलीज़ होने से पहले काफी विवाद हुआ और मधुर भंडारकर को सुरक्षा तक मुहैया करायी गयी थी।

1 788माना जा रहा था की इमरजेंसी काल के 19 महीनों में देस्श ने जो दर्द झेला उसका कच्चा चिट्ठा ये फिल्म खोलेगी। परन्तु फिल्म के शुरुआत में एक लम्बा डिस्क्लेमर दर्शकों के लिए है जिसमे बताया गया है की इस फिल्म में सबकुछ काल्पनिक ही है और असली घटनाओं से इसका कोई सम्बन्ध नहीं है।

2 438मधुर भंडारकर एक बेहद चतुर निर्देशक क्यों कहे जाते है उन्होंने साबित किया इस फिल्म और मुख्य किरदार का नाम ‘इंदु सरकार’ रखकर, जिसे सीधे-सीधे पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से जोड़ कर देखा गया क्योंकि इंदिरा गांधी को उनके प्रियजन ‘इंदु’ बुलाते थे।

3 362फिल्म की कहानी एक अनाथ लड़की इंदु की है जो शायरा बनना चाहती है और कवितायेँ लिखती है जिसे सरकारी अधिकारी और सरकार के अंध भक्त ‘नवीन सरकार’ से प्रेम हो जाता है। कहानी को इमरजेंसी काल के इर्दगिर्द बुना गया है।

4 290तुर्कमान नरसंहार के बाद सरकार की जबरदस्ती के खिलाफ फिल्म की नायिका उठ खड़ी होती है जिसके चलते उस एअपने पति को छोड़कर अनुपम खेर का संगठन जॉइन करना पड़ता है। इसी के चलते इंदु को जेल भी जाना पड़ता है।

5 220उस समय में आम जनता की परेशानियों के लिए नायिका सरकार के खिलाफ लडती तो है पर कहानी में स्पष्ट रूप से कुछ भी दिखाया नहीं गया है। कुल मिलकर कहानी को फिल्म विश्लेषक 3/5 रेटिंग देते है।

6 141मुख्य भूमिका में कीर्ति कुल्हाड़ी ‘इंदु’ और उनके पति के रोल में तोता रॉय चौधरी ने बेहतरीन अभिनय किया है। नील नितिन मुकेश संजय गांधी के किरदार में जमे है और अनुपम खैर की प्रतिभा एक बार फिर बड़े परदे पर झलकी है। एक्टिंग की बात की जाए तो फिल्म को 4/5 रेटिंग मिलती है।

7 80कुल मिलकर कहा जाए तो ये फिल्म एक बार देखने लायक जरूर है। ओवरआल रेटिंग में फिल्म 3/5 अंक लेकर एक सफल फिल्म बनने की राह पर है।

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