विवादों में घिरी पद्मावती फिल्म को सेंसर बोर्ड का प्रमाणपत्र मिल जाने के बावजूद करणी सेना द्वारा इसका विरोध जारी रखने के बीच कांग्रेस ने आज कहा कि फिल्म शांतिपूर्ण ढंग से रिलीज हो सके, यह राज्य सरकारों का दायित्व है। केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने पद्मावती फिल्म को यूए प्रमाणपत्र दिया है। हालांकि करणी सेना ने कहा है कि वह इस फिल्म का विरोध जारी रखेगी। करणी सेना के विरोध के बारे में प्रश्न किये जाने पर कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता मनीष तिवारी ने संवाददाताओं से कहा कि उच्चतम न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा था कि एक बार जब सीबीएफसी प्रमाणपत्र दे देता है तो राज्य सरकार का यह उथरदायित्व होता है कि कानून व्यवस्था की स्थिति को समान्य बनाये ताकि फिल्म के रिलीज में कोई बाधा उत्पन्न न हो। यह उनकी संवैधानिक जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा कि अपने राज्यों में फिल्म को शांतिपूर्ण ढंग से रिलीज करवाना संबंधित प्रदेश सरकार का दायित्व है। यह पूछे जाने पर कि करणी सेना के पीछे कौन सी ताकते हैं? तिवारी ने कहा, प्रश्न यह महत्वपूर्ण नहीं है कि करणी सेना के पीछे कौन खड़ है? प्रश्न यह है कि आज हाशिये पर रहने वाली ताकतों और मुख्यधारा की ताकतों में भेद मिट गया है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग घर वापसी, लव जिहाद.1 गौरक्षा के नाम पर गुंडागर्दी करते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले साढ़ तीन साल में यह बात स्पष्ट हो गयी है कि हाशिये वाली ताकतों और मुख्यधारा की ताकतों में कोई फर्क नहीं है। हाशिये वाली ताकतें आज राजनीति की मुख्यधारा में आ गयी हैं। करणी सेना पद्मावती फिल्म में इतिहास के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगाते हुए इसका विरोध कर रही है। सेंसर बोर्ड ने फिल्म को प्रमाणपत्र देने के साथ इसमें कुछ बदलाव का सुझाव दिया है जिसमें इसका नाम बदलकर पद्मावत करना शामिल है। बालीवुड उद्योग के सूत्रों के अनुसार यह फिल्म 25 जनवरी को जारी हो सकती है।
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