जाने माने अभिनेता रजनीकांत ने बुधवार को कहा कि पूरे भारत में एक ही भाषा की संकल्पना संभव नहीं है और हिंदी को थोपे जाने की हर कोशिश का केवल दक्षिणी राज्य ही नहीं, बल्कि उत्तर भारत में भी कई लोग विरोध करेंगे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हिंदी को पूरे भारत की आम भाषा बनाने की हाल में वकालत की थी जिसकी पृष्ठभूमि में रजनीकांत ने यह बयान दिया।
रजनीकांत ने कहा कि हिंदी को थोपा नहीं जाना चाहिए क्योंकि पूरे देश में एक ही भाषा की संकल्पना ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ रूप से लागू नहीं की जा सकती। उन्होंने यहां हवाईअड्डे पर संवाददाताओं से कहा, ‘‘केवल भारत ही नहीं, बल्कि किसी भी देश के लिए एक आम भाषा होना उसकी एकता एवं प्रगति के लिए अच्छा होता है।
उन्होंने कहा, दुर्भाग्यवश, हमारे देश में एक आम भाषा नहीं हो सकती, इसलिए आप कोई भाषा थोप नहीं सकते।’’ उन्होंने कहा, ‘‘विशेष रूप से, यदि आप हिंदी थोपते हैं, तो तमिलनाडु ही नहीं, बल्कि कोई भी दक्षिणी राज्य इसे स्वीकार नहीं करेगा। उत्तर भारत में भी कई राज्य यह स्वीकार नहीं करेंगे।’’
गौरतलब है कि श्री शाह के हिन्दी संबंधी इस बयान की दक्षिण भारत की कईं विपक्षी पार्टियों द्रमुक, कांग्रेस, एमडीएमके और वीसीके ने जोरदार आलोचना की है। द्रमुक ने हिन्दी को जबरन थोपे जाने के मसले पर 20 सितंबर को राज्य व्यापी बंद प्रदर्शन का एलान किया है।
अन्नाद्रमुक ने भी कहा है कि राज्य दो भाषा के अपने फार्मूले पर कायम रहेगा और जो भी इसमें कोई बदलाव करेगा उसका जोरदार विरोध किया जाएगा। मक्काल निधि मैयम के प्रमुख कमल हासन ने श्री शाह के बयान का विरोध करते हुए एक वीडियो जारी किया है।
श्री हासन ने कहा,‘‘ जब भारत एक गणतंत्र बना था जो विविधता में एकता का वादा किया गया था और अब कोई शाह, सुल्तान और सम्राट उस वादे से मुकर नहीं सकता है। हम हर भाषा का सम्मान करते हैं लेकिन हमारी मातभाषा हमेशा तमिल ही रहेगी।’’
गौरतलब है कि हिन्दी दिवस के मौके पर श्री शाह ने कहा था, ‘‘भारत बहुत सी भाषाओं वाला देश है और हर भाषा की अपनी अहमियत है लेकिन एक ऐसी भाषा का होना जरूरी है जो विश्व में भारत की पहचान बन सके। अगर आज कोई भाषा देश को जोड़ सकती है तो वह भाषा हिन्दी है जो सबसे अधिक बोली जाती है।’’