बॉलीवुड एक्टर शाहिद कपूर कितने क्यूट और मासूम लगते है। सोचिए अगर इस उम्र भी उनके चेहरे पर इतनी मासूमियत है तो बचपन में तो क्या ही रहा होगा। शायद ही उनपर कोई गुस्सा कर पता होगा। अबतक तो सब यही सोचते थे लेकिन असलियत तो कुछ और ही है। अब खुद शाहिद कपूर ने अपने स्कूल के दिनों का किस्सा सुनाया है जिसपर यकीन कर पाना ज़रा मुश्किल है।
आपको बता दे, इन दिनों अपनी फिल्म जर्सी को लेकर एक्टर काफी सुर्खियों में हैं। इस फिल्म में वह एक क्रिकेटर के रोल में हैं। वही, शाहिद कपूर की फिल्म जर्सी का जोर-शोर से प्रमोशन चल रहा हैं। इस बीच उन्होंने अपनी स्कूल से जुड़ी ढेर सारी यादों को शेयर किया और बताया कि स्कूल में बाकि स्टूडेंट्स के साथ वह कैसे बर्ताव करते थे।
शाहिद कपूर ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान अपने स्कूल के दिनों को याद किया। शाहिद कपूर की शुरुआती पढ़ाई दिल्ली से हुई। इसके बाद वो मुंबई आ गए। मुंबई में स्कूल के दिनों को याद करते हुए एक्टर ने कहा, ‘मुझे बंबई में अपने स्कूल से नफरत थी, मुझे तंग किया जाता था और मेरे साथ बहुत बुरा व्यवहार किया जाता था। टीचर भी मेरे लिए बहुत अच्छे नहीं थे। माफी चाहूंगा लेकिन यह सच है।’
शाहिद कपूर ने आगे कहा, ‘मैं दिल्ली में अपने स्कूल से प्यार करता था क्योंकि मैं वहां जूनियर केजी से था और मेरे बहुत सारे दोस्त थे। इसलिए मेरे पास दिल्ली में बोहोत अच्छी यादें हैं लेकिन बॉम्बे के स्कूल की यादें अच्छी नहीं हैं। बॉम्बे में मेरा कॉलेज वाकई अच्छा था। खूब मस्ती की, मैं मीठीबाई कॉलेज में था, लेकिन स्कूल की पढ़ाई इतनी अच्छी नहीं थी’।
शाहिद कपूर ने मुंबई और दिल्ली के स्कूल के स्टूडेंट्स के बारे में भी फर्क बताया। उन्होंने कहा, ‘कोई अंतर नहीं है। मुझे लगता है कि जब बच्चे स्कूल जाते हैं, जब एक नया बच्चा बीच में आता है और बाकी सभी बच्चे छोटी उम्र से साथ होते हैं, तो वह एक बच्चा आउटसाइडर बन जाता है। उन्होंने आगे कहा ‘और क्योंकि मैं दिल्ली से था तो मुझे ‘दिल्ली का लड़का’ कहा जाता था। मैं कदम उठाने या पीछे हटने वाला नहीं था इसलिए जब भी मुझे कहा जाता था कि ‘तू हट जा’, ‘तू क्या समझता है? मैं कहता था कि मैं क्यों हटू.. ‘तू जानता नहीं मैं कौन हूं।’
इसके अलावा शाहिद कपूर ने बताया कि वह कॉलेज के दिनों में कैसे बजट बनाया करते थे। उन्होंने कहा कि जिन दिनों में उनके पास सिर्फ 20 रुपये होते और वडा पाव खाने और कोल्ड ड्रिंक पिने का मन करता तो वह बस से ट्रैवल किया करते थे। जब वह थके हुए होते थे तो रिक्शा से कॉलेज जाते थे और कुछ अच्छा नहीं खा पाते थे। उन्होंने कहा कि उन्हें हमेशा सिक्का उछालकर फैसला करना पड़ता था कि क्या करना है।