वडाली ब्रदर्स ने सास्ंकृतिक संगी की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाने वाले आज उनकी जोड़ी टूट गई है। बता दें कि उस्ताद पूरण चंद वडाली के छोटे भाई प्यारेलाल वडाली का आज शुक्रवार की सुबह अमृतसर में निधन हो गया। 75 साल के प्यारेलाल ने अमृतसर के फोर्टिस में अपनी अंतिम सांस ली।
निधन के बाद उनके पार्थिव शरीर को पैतृक गांव ले जाया गया। पार्थिव देह को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है। पंजाबी सूफी गानों के लिए महशूर वडाली ब्रदर्स में उस्ताद प्यारे लाल छोटे थे।
उनके बड़े भाई का नाम पूरनचंद वडाली है। वो पहलवान भी थे। वडाली ब्रदर्स का मशहूर पटियाला घराने से भी ताल्लुक रहा।बता दें कि पटियाला घराने के उस्ताद बड़े गुलाम अली थे।
वडाली ब्रदर्स तू माने या न माने, हीर और याद पिया की जैसे सूफी गानों के याद किए जाते हैं। इस जोड़ी ने कई भजन भी गाए हैं।
वडाली ब्रदर्स को उनके काम के लिए 1992 में संगीत नाटक अकादमी का प्रतिष्ठित सम्मान दिया गया। 1998 में उन्हें तुलसी अवॉर्ड दिया गया था।
वडाली ब्रदर्स शुरू में फिल्मों में गाना नहीं चाहते थे। लेकिन बहुत बाद में उन्होंने कई बॉलीवुड के लिए भी गाया। कई गानों के लिए वडाली ब्रदर्स मशहूर भी हुए। इसमें रंगरेज मेरे , तू ही तू ही, दर्दा मारेया और चेहरा मेरे यार का शामिल है।
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