भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा चालू वित्त वर्ष के अंत तक ब्याज दर में 0.40 प्रतिशत की कटौती की संभावना है क्योंकि आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए अब तक उठाये गए कदम नाकाफी दिख रहे हैं। फिच सॉल्यूशंस ने शुक्रवार को यह बात कही।
आरबीआई ने इससे पहले सात अगस्त को रेपो दर में 0.35 प्रतिशत की कटौती की है। हालांकि, तब बाजार को ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत कटौती की उम्मीद थी। भारतीय ब्याज दरों के बारे में अपनी रपट में फिच सॉल्यूशन्स ने कहा, ”आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए दी गयी मौद्रिक ढील अब तक नाकाफी दिख रही है, ऐसे में फिच सॉल्यूशन्स को उम्मीद है कि आरबीआई मार्च, 2020 तक नीतिगत ब्याज दर में 40 आधार अंक (0.40 प्रतिशत) की और कटौती कर सकता है।”
आरबीआई इस कैलेंडर वर्ष में अब तक चार बार ब्याज दरों में कटौती कर चुका है लेकिन कर्ज लेने वालों तक इसके अनुपात में राहत अब तक नहीं पहुंची है। केंद्रीय बैंक इस साल अब तक ब्याज दर में 1.10 प्रतिशत की कमी कर चुका है। फिच की रपट में कहा गया है कि केंद्रीय बैंक की ओर से इतनी कटौती के बावजूद आर्थिक गतिविधियों को अपेक्षित बल नहीं मिल सका है। एक तरफ जहां वृद्धि दर पांच साल के निचले स्तर पर पहुंच गयी है वहीं ग्राहकों का विश्वास कमजोर हुआ है और प्रत्यक्ष विदेशी निवेशी ठप पड़ गया है।
वाहन उद्योग दो दशक के सबसे मुश्किल दौर से गुजर रहा है और खबरों के मुताबिक वाहन एवं संबंधित उद्योग में हजारों लोगों की नौकरियां जाने का खतरा है। फिच ने कहा, ”भारत में मौद्रिक नीति का लाभ आगे बढ़ाने से जुड़ी बुरी व्यवस्था के कारण ब्याज दर में हमारी उम्मीद से अधिक की कटौती करनी पड़ सकती है।” फिच ने चालू वित्त वर्ष के दौरान वास्तविक जीडीपी वृद्धि के 6.8 प्रतिशत पर रहने का अनुमान जताया है।