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सहकारी बैैंकों को मजबूत बनाने के लिये कानून में संशोधन

दिशानिर्देश के तहत होगा और अगर कोई सहकारी बैंक दबाव में आता है तो केंद्रीय बैंक उसके निदेशक मंडल को हटाकर दूसरा निदेशक मंडल नियुक्त कर सकता है।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को बैंक नियमन कानून में संशोधन को मंजूरी दे दी। सहकारी बैंकों को सुदृढ़ बनाने तथा पीएमसी बैंक जैसे संकट से बचने के लिये कानून में संशोधन को मंजूरी दी गयी है। इस कदम का मकसद जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करना है। देश भर में 1,540 सहकारी बैंक हैं। इनमें कुल 8.60 करोड़ जमाकर्ता हैं जबकि उनकी बचत 5 लाख करोड़ रुपये तक है। 
मंत्रिमंडल की बैठक के बाद फैसलों के बारे में जानकारी देते हुए सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने संवाददाताओं से कहा कि प्रस्तावित कानून के तहत आरबीआई के बैंक नियमन दिशा-निर्देश को सहकारी बैंकों में लागू करना है। जबकि प्रशासनिक मुद्दों के बारे में सहकारिता पंजीयक पहले की तरह दिशानिर्देश देता रहेगा। उन्होंने कहा कि इस बदलाव से वित्तीय स्थिरता मजबूत होगी।
 इसके तहत सहकारी बैंकों के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) की नियुक्ति के लिये पात्रता तय होगी और वाणिज्यिक बैंकों की तरह नियुक्ति से पहले आरबीआई की मंजूरी ली जाएगी।जावड़ेकर ने कहा कि सहकारी बैंकों के आडिट का काम आरबीआई के दिशानिर्देश के तहत होगा और अगर कोई सहकारी बैंक दबाव में आता है तो केंद्रीय बैंक उसके निदेशक मंडल को हटाकर दूसरा निदेशक मंडल नियुक्त कर सकता है। 
उन्होंने कहा कि सहकारी बैंक को आरबीआई के दिशानिर्देश के चरणबद्ध तरीके से अनुपालन के लिये समय दिया जाएगा। मंत्रिमंडल की मंजूरी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के शनिवार को घोषित प्रस्तावों के अनुरूप है। उन्होंने बजट में कहा था कि सहकारी बैंकों को मजबूत करने के लिये बैंक नियमन कानून में संशोधन करने का प्रस्ताव है। इसका उद्देश्य आरबीआई के जरिये मजबूत बैंकों के लिये पेशेवर रुख को बढ़ावा देना, पूंजी तक पहुंच बढ़ाना और संचालन एवं निगरानी में सुधार लाना है।
 जावड़ेकर ने कहा कि एक सप्ताह के भीतर यह दूसरा महत्वपूर्ण उपाय है जिसे सरकार ने जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिये उठाया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में जमाकर्ताओं के लिये बीमा कवर एक लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने का प्रस्ताव किया है। उन्होंने कहा कि मैं इस सदन को सूचित करना चाहती हूं कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की स्थिति की निगरानी के लिये बेहतर प्रणाली स्थापित है और उनके जमाकर्तओं की राशि सुरक्षित है। सीतारमण ने 2020- 21 के बजट में कहा कि इसके अलावा, जमा बीमा और रिण गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) को बैंकों के ग्राहकों की जमा पर बीमा कवरेज को एक लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये करने की अनुमति दे दी गई है।

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