मुंबई : भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की अगुवाई में 26 बैंकों के गठजोड़ ने निजी क्षेत्र की विमानन कंपनी जेट एयरवेज के मामले को दिवाला संहिता के तहत कार्रवाई के लिए राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में भेज दिया। न्यायाधिकरण इस पर बुधवार से सुनवाई करेगा। बैंकों को ठप पड़ी एयरलाइन से 8,500 करोड़ रुपये की वसूली करनी है। कभी जेट एयरवेज देश की निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी एयरलाइन के तौर पर जानी जाती थी।
25 साल पहले इस एयरलाइन को टिकटिंग एजेंट से उद्यमी बने नरेश गोयल ने शुरू किया था। नकदी संकट और एयरलाइन को पट्टे पर विमान देने वाली कंपनियों को भुगतान नहीं कर पाने की वजह से गत 17 अप्रैल से जेट एयरवेज का परिचालन बंद है। जेट एयरवेज को कर्ज देने वाले बैंक पिछले पांच महीने से एयरलाइन को चलती हालत में बेचने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन कई कारणों की वजह से वे अपने प्रयास में सफल नहीं हो पाए।
बैंकों के अलावा एयरलाइन पर उसे माल और सेवाएं देने वालों का 10,000 करोड़ रुपये और कर्मचारियों के वेतन का 3,000 करोड़ रुपये का बकाया है। जेट एयरवेज के कर्मचारियों की संख्या 23,000 है। पिछले कुछ साल के दौरान जेट एयरवेज का कुल नुकसान 13,000 करोड़ रुपये पर पहुंच चुका है। इस तरह एयरलाइन पर कुल 36,500 करोड़ रुपये का बकाया है। घरेलू हवाई अड्डों पर एयरलाइन के स्लॉट सरकार ने अन्य विमानन कंपनियो को दे दिए हैं।