साख निर्धारक तथा बाजार सलाह एवं अध्ययन कंपनी इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (इंड-रा) ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की सुस्ती के कारक निकट भविष्य में दूर होते नहीं दिख रहे और सरकार को बजट में इस प्रकार निवेश करना चाहिये जिससे रोजगार सृजन हो तथा लोगों की व्यय योग्य आय बढ़।
एजेंसी की आज जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष के लिए राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा अनुमानित पाँच प्रतिशत की विकास दर के अगले वित्त वर्ष में मामूली सुधार के साथ 5.5 प्रतिशत पर पहुँचने की उम्मीद है। उसने कहा है कि विकास दर के 5.5 पाँच प्रतिशत से नीचे रहने का जोखिम बना रहेगा। इंड-रा के अनुसार, अर्थव्यवस्था में सुस्ती के कई कारक हैं। इनमें बैंकों के ऋण उठाव में सुस्ती और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के ऋण उठान में अचानक तेज गिरावट, आम लोगों की आमदनी और उनकी बचत में कमी आना तथा फँसी हुई पूँजी से जुड़ विवादों के जल्द निपटारे में समाधान और न्याय प्रणाली की विफलता प्रमुख हैं।
एजेंसी ने कहा ‘‘हालाँकि वित्त वर्ष 2020-21 में कुछ सुधार की उम्मीद है, लेकिन ये सभी नकारात्मक कारक बने रहेंगे। इसके परिणामस्वरूप भारतीय अर्थव्यवस्था कम उपभोग तथा कम निवेश के दौर में उलझी रहेगी। इंड-रा का मानना है कि इस स्थिति से निपटने के लिए नीतिगत स्तर पर बड़ कदम उठाने की जरूरत है ताकि घरेलू माँग बढ़ी और अर्थव्यवस्था ऊँची विकास दर के रास्ते पर दुबारा लौट सके।’’ उसने कहा कि सरकार ने आर्थिक सुस्ती से निपटने के लिए पिछले कुछ समय में कई उपायों की घोषणा की है, लेकिन उनके फायदे मध्यम अवधि में ही सामने आयेंगे। इसलिए 01 फरवरी को संसद में पेश होने वाले बजट से काफी उम्मीदें हैं।
उसने कर राजस्व तथा गैर-कर राजस्व में गिरावट की आशंका जताते हुये कहा कि इससे वित्तीय घाटा बढ़ सकता है। रिजर्व बैंक से प्राप्त अधिशेष राशि को जोड़ने के बावजूद चालू वित्त वर्ष में वित्तीय घाटा 3.6 प्रतिशत पर पहुँच सकता है। बजट में इसके 3.3 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया था। इंड-रा का मानना है कि सरकार को अगले वित्त वर्ष का बजट इस प्रकार तैयार करना चाहिये जिससे व्यय को तर्कसंगत बनाया जा सके और प्राथमिकता के आधार पर आवंटन किया जाये।
आवंटन तय करते समय इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिये कि इससे प्रत्यक्ष रोजगार का सृजन हो और समाज के निचले स्तर पर रह रहे लोगों के पास ज्यादा पैसा पहुँचे। इससे उपभोग माँग बढ़ेगी। प्रेस विज्ञप्ति में ग्रामीण बुनियादी ढाँचों, सड़क निर्माण, किफायती आवास और मनरेगा को प्राथमिकता देने की सलाह दी गयी है।
एजेंसी ने अगले वित्त वर्ष में खुदरा महँगाई के 3.9 प्रतिशत पर और थोक महँगाई के 1.3 प्रतिशत पर रहने का अनुमान व्यक्त किया है। चालू वित्त वर्ष में औसत खुदरा महँगाई 4.4 प्रतिशत और थोक महँगाई 1.4 प्रतिशत रहने की संभावना है। उसने कहा है कि खुदरा महंगाई -विशेषकर खाद्य खुदरा महंगाई के ऊँचे स्तर के कारण नीतिगत ब्याज दरों में कटौती की फिलहाल उम्मीद नहीं है।
इंड-रा का मानना है कि व्यापार युद्ध एवं विकसित देशों की संरक्षणवादी नीति के कारण विदेशी कारक निर्यात के लिए अब भी चुनौती बने हुये हैं। इस कारण चालू वित्त वर्ष में सेवा एवं वस्तु निर्यात में दो प्रतिशत की गिरावट की आशंका है। हालाँकि, अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध को लेकर समझौता होने से 01 अप्रैल से शुरू हो रहे अगले वित्त वर्ष में इसमें सुधार हो सकता है और यह 7.2 प्रतिशत बढ़ सकता है।