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कैट का केंद्र से अनुरोध, कहा- ई-कॉमर्स व्यापार को आर्थिक आतंकवाद से छुटकारा दिलाए सरकार

देश में जैसे-जैसे कोरोना वायरस का खतरा कम हो रहा है, वैसे-वैसे देश की आर्थिक गतिविधियां भी फिर से पटरी पर आ रही है। वहीं, दूसरी तरफ, देश के सबसे बड़े व्यापार संगठन ने केंद्र सरकार से एक गुजारिश की है। कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने मोदी सरकार में केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से अनुरोध किया है कि विदेशों से पैसा प्राप्त करने वाली कंपनियों के कारण देश में आर्थिक आतंकवाद ई-कॉमर्स व्यापार के लिए खतरा बनता जा रहा है, जिससे जल्द से जल्द छुटकारा दिलाया जाए। 

कैट के मुताबिक, एफडीआई नीति के तहत ई-कॉमर्स पर नियंत्रण करना जरूरी हो गया है। कैट के अनुसार, अमेजॉन, फ्लिपकार्ट और अन्य विदेशी धन प्राप्त ई-कॉमर्स कंपनियों की निरंतर अनैतिक व्यापार प्रथाओं को जारी रखने तथा एफडीआई नीति और अन्य लागू नियमों के लगातार उल्लंघन के मद्देनजर ये आग्रह किया गया है।

कैट ने कहा है, भारत कोई बिकने वाला राष्ट्र नहीं है। यह बात अमेजन एवं फ्लिपकार्ट सहित उन सभी कंपनियों को अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए, जो देश में ई कॉमर्स और रिटेल व्यापार पर कब्जा कर अपना एकाधिकार जमाने का कुत्सित प्रयास कर रही हैं।

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा, जिस तरह से इन कंपनियों द्वारा नीति एवं नियमों का उल्लंघन कर पूरी शक्ति से ई कॉमर्स व्यापार को तबाह किया जा रहा है, उससे देश भर में हजारों दुकानें बन्द हो गई हैं। ये स्थिति किसी भी मायने में आर्थिक आतंकवाद से कम नहीं है, जिसका समूल नष्ट किया जाना बेहद जरूरी है।

इसी बीच अमेजॉन द्वारा हाल ही में दिए गए कुछ बयानों पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कैट ने कहा कि, अमेजॉन एवं फ्लिपकार्ट द्वारा यह दावे करना कि उन्होंने भारत में बड़ी मात्रा में रोजगार उपलब्ध कराया है और व्यापारियों को व्यापार के बड़े अवसर प्रदान किये हैं, नितांत काल्पनिक एवं देश के ई कॉमर्स व्यापार पर कब्जा जमाने के सुनियोजित षड्यंत्र से अलावा कुछ भी नहीं है।

उन्होंने कहा, जिस तरह से ईस्ट इंडिया कंपनी ने खुद को भारत के सच्चे दोस्त के रूप में देश के व्यापारियों के उद्धारकर्ता के रूप में प्रदर्शित किया और बाद में देश को गुलाम बना दिया गया है, लगभग उसी प्रकार के अपने नापाक इरादों पर प्रदा डालने की कोशिश है। कैट के अनुसार, सेंटर फॉर मॉनिटरिंग ऑफ इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) ने पाया है कि दूसरी लहर ने 1 करोड़ से अधिक भारतीयों को बेरोजगार कर दिया। 

मई 2021 में 12 फीसदी बेरोजगारी दर के साथ घरेलू आय में 97 फीसदी की गिरावट आई । दूसरी ओर, एक उद्योग संघ द्वारा जारी एक रिपोर्ट में बिजनेस कॉन्फिडेंस इंडेक्स में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है जो 51.5 फीसदी है। इससे यह साफ है की विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियां वैल्यूएशन के जरिये भारतीय बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा रही हैं। दूसरी ओर, इन कंपनियों की अनैतिक नीतियों से पारंपरिक भारतीय खुदरा बाजार की वित्तीय स्थिति बिगड़ रही है।

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