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CBI ने OPG securities के मालिक संजय गुप्ता को किया गिरफ्तार, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का चल रहा था मामला

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने दिल्ली स्थित ओपीजी सिक्योरिटीज के प्रबंध निदेशक संजय गुप्ता को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) घोटाले में प्राथमिकी दर्ज करने के चार साल बाद गिरफ्तार किया है।

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने दिल्ली स्थित ओपीजी सिक्योरिटीज के प्रबंध निदेशक संजय गुप्ता को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) घोटाले में प्राथमिकी दर्ज करने के चार साल बाद गिरफ्तार किया है। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। सीबीआई का आरोप है कि उसे सूचना मिली थी कि गुप्ता ने कुछ लोगों के साथ मिलकर सबूत नष्ट करने का प्रयास किया और एनएसई को-लोकेशन घोटाला मामले की जांच कर रहे भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के अधिकारियों को भी प्रभावित करने की कोशिश की थी। उन्होंने बताया कि एजेंसी ने गुप्ता को अपने मुख्यालय में तलब किया था जहां उनसे इन मुद्दों के बारे में पूछताछ की गयी।
गुप्ता के खिलाफ 2018 में दर्ज सीबीआई 
अधिकारियों ने कहा कि पूछताछ के दौरान गुप्ता ने टालमटोल वाले जवाब दिये और ‘‘जांच को भटकाने’’ की कोशिश की जिसके बाद मंगलवार रात को उसे गिरफ्तार कर लिया गया।उन्होंने कहा कि गुप्ता ने कथित तौर पर एक ‘सिंडिकेट’ के सदस्यों से संपर्क किया था और अपनी ओर से सेबी के अधिकारियों को रिश्वत देने और जांच को प्रभावित करने की कोशिश की थी । उन्होंने कहा कि सीबीआई इस बात की जांच कर रही है कि सिंडिकेट सदस्यों को दी गई रिश्वत सेबी के अधिकारियों तक पहुंची या नहीं। गुप्ता के खिलाफ 2018 में दर्ज सीबीआई की प्राथमिकी में भी इसी तरह के आरोप लगाए गए थे। इस साल फरवरी में सेबी की एक रिपोर्ट के बाद एजेंसी हरकत में आई, जिसमें एनएसई की तत्कालीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक चित्रा रामकृष्ण और समूह संचालन अधिकारी आनंद सुब्रमण्यम के खिलाफ सख्त टिप्पियां की गई थीं।
 ‘टिक-बाय-टिक’ सर्वर में दलालों द्वारा ट्रेडिंग 
 मिली जानकारी के मुताबिक  यह आरोप लगाया गया है कि ओपीजी सिक्योरिटीज ने 2010 और 2014 के बीच अधिकांश व्यापारिक दिनों में एनएसई के ‘टिक-बाय-टिक’ सर्वर पर चार साल तक लगातार लॉग इन किया और बेहतर ‘हार्डवेयर’ वाले सर्वर तक भी पहुंच बनाई। आरोप है कि एनएसई द्वारा उपयोग किए जाने वाले ‘टिक-बाय-टिक’ सर्वर में दलालों द्वारा ट्रेडिंग घंटों में साथियों से आगे रहने के लिए हेरफेर किया गया था। डेलॉइटी टौच थमात्सु ने एनएसई की को-लोकेशन सुविधा की फोरेंसिक समीक्षा की थी,उसने पाया कि व्यापारिक सत्रों के दौरान अधिकांश मामलों में ओपीजी सिक्योरिटीज पहले स्थान पर थी। सीबीआई ने इससे पहले एनएसई की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक चित्रा रामकृष्ण और पूर्व समूह संचालन अधिकारी आनंद सुब्रमण्यम को इस मामले में गिरफ्तार किया था। दोनों मार्च से न्यायिक हिरासत में हैं।

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