नई दिल्ली : विशेषज्ञों का मानना है कि मुद्रास्फीति का दबाव कम होने के मद्देनजर रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) इस सप्ताह अपना नितिगत रुख बदल कर ‘तटस्थ’ कर सकती है। हालांकि राजकोषीय मार्चे पर चुनौतियों तथा कच्चे तेल की कीमतों के बढ़ने से समिति के लिए नीतिगत ब्याज दर घटाना अभी संभव नहीं लगता है।
रिजर्व बैंक की (एमपीसी) द्वैमासिक समीक्षा बैठक मुंबई में पांच से सात फरवरी तक होगी। नये आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के कार्यकाल की यह पहली समीक्षा बैठक है। दास ने 12 दिसंबर को आरबीआई की कमान संभाली। बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री समीर नारंग ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति आगामी सात फरवरी को अपने नीतिगत रुख को ‘नाप-तोल कर कठोर’ बनाने की जगह ‘तटस्थ’ कर सकती है।
अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के दौरान खुदरा मुद्रास्फीति रिजर्व बैंक के 3.8 प्रतिशत के अनुमान से कम 2.6 प्रतिशत रही। नारंग ने कहा कि मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय कमी तथा वैश्विक वृद्धि सुस्त पड़ने से 2018-19 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति चार प्रतिशत के दायरे में रहने वाली है। इससे रिजर्व बैंक को नीतिगत रुख बदलने का मौका मिलेगा। हालांकि स्वास्थ्य, शिक्षा तथा घरेलू एवं निजी सामान जैसे मुख्य कारकों के उच्च स्तर से दरों में बदलने की सुविधा सीमित है।’