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सस्ता कर्ज : उम्मीदों को झटका

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मुंबई : आने वाले दिनों में महंगाई दर बढ़ने की चिंता में रिजर्व बैंक ने नीतिगत ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया। केन्द्रीय बैंक ने रेपो दर को 6 प्रतिशत पर पूर्ववत रखा है। इससे बैंकों के समक्ष ब्याज दरों में कमी लाने की गुंजाइश काफी कम रह गई है। इसके परिणामस्वरूप वाहन और मकान के लिये कर्ज सस्ता होने की भी गुंजाइश कम रह गई है।

रिजर्व बैंक ने अपनी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में वर्ष की दूसरी छमाही के लिये मुद्रास्फीति का अनुमान पहले के 4.2-4.6 प्रतिशत से बढ़ाकर 4.3- 4.7 प्रतिशत कर दिया। हालांकि, बैंक ने 2017-18 के लिये आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 6.7 प्रतिशत पर पूर्ववत रखा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने इस वित्त वर्ष की पांचवीं द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में मुख्य नीतिगत दर रेपो को 6 प्रतिशत पर पूर्ववत रखा है। रिवर्स रेपो दर को भी 5.75 प्रतिशत पर बनाये रखा है।

जानकारी अनुसार, केन्द्रीय बैंक ने कहा है कि उसका लक्ष्य खुदरा मुद्रास्फीति दर को मध्यम काल में 4 प्रतिशत के आसपास बनाये रखना है। यह ज्यादा से ज्यादा दो प्रतिशत रूपर अथवा नीचे तक जा सकती है। जानकारी के अनुसार, रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति अनुमान बढ़ाते हुये इसमें सरकारी कर्मचारियों के आवास किराया भत्ता (एचआरए) में बढ़ोतरी से पड़ने वाले असर को शामिल किया है। उसके मुताबिक सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत एचआरए बढ़ने से मुद्रास्फीति पर 0.35 प्रतिशत तक का असर हो सकता है। उसके मुताबिक एचआरए बढ़ने का महंगाई पर असर दिसंबर में अपने शीर्ष पर होगा। विभिन्न राज्यों में एचआरए बढ़ाये जाने का भी मुद्रास्फीति पर असर दिखाई देगा। समीक्षा में कहा गया है, खाद्य और इंधन उत्पादों को छोड़कर मुद्रास्फीति में 2017-18 की पहली तिमाही में जो मुद्रास्फीति में नरमी आई थी उसमें अब बदलाव आया है। इसमें जो वृद्धि का रुख बना है उसके निकट भविष्य में बने रहने का जोखिम है।

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