चीन में कोरोना वायरस कहर जारी है. अब तक मरने वालों की संख्या बढ़कर 811 हो गई है,जबकि 37,000 से अधिक मामले सामने आये है। वहीँ, भारतीय दवा कंपनियों की निगाह चीन में कोरोना वायरस की वजह से सक्रिय औषधि अवयवों की आपूर्ति पर पड़ने वाले असर पर है। वित्त वर्ष 2018-19 में चीन की दवा अवयवों के कुल भारतीय आयात में 67.56 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। मूल्य के हिसाब से यह 240.54 करोड़ डॉलर बैठता है।
यदि चीन में हालात में जल्द सुधार की शुरुआत नहीं हुई तो घरेलू दवा उद्योग पर इसका असर पड़ सकता है। इंडियन फार्मास्यूटिकल्स अलायंस के महासचिव सुदर्शन जैन ने कहा, ‘‘सभी कंपनियां स्थिति की निगरानी कर रही हैं। सरकार भी मामले से अवगत है और सभी पक्ष स्थिति से निपटने के लिये मिलकर काम कर रहे हैं।’’
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उन्होंने कहा कि चीन में स्थिति में हो रही प्रगति, महत्वपूर्ण सक्रिय अवयवों के भंडार आदि पर कड़ी निगाहें रखी जा रही हैं तथा उन वैकल्पिक स्रोतों को तलाशा जा रहा है, जहां से चुनिंदा अवयवों को मंगाने के लिये नियामकीय मंजूरियां मिल सकती हैं। जैन ने कहा, ‘‘भारत एंटिबायोटिक्स और विटामिन जैसे अवयवों को लेकर आयात पर निर्भर है। कंपनियां इन अवयवों का दो-तीन महीने का भंडार बनाकर रखती हैं।’’
दवा कंपनी सनोफी इंडिया के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘अभी कोरोना वायरस के पड़ सकने वाले असर का अनुमान लगा पाना जल्दबाजी होगा। हम आपूर्ति में कोई बाधा न हो, यह सुनिश्चित करने के लिये स्थिति की करीबी से निगरानी कर रहे हैं।’’