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गुजरात : कपास की खेती का रकबा पिछले दो दशकों में 17.40 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 26.83 लाख हेक्टेयर हो गया है। वर्तमान में, राज्य की कपास उत्पादकता दर 589 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है, जिससे कुल उत्पादन 92 लाख गांठ तक पहुँच गया है। कृषि मंत्री राघवजी पटेल ने रविवार को इस महत्वपूर्ण डेटा को साझा करते हुए बताया कि गुजरात अब कपास उत्पादन में देश में दूसरे स्थान पर है।
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मंत्री पटेल ने कहा, "कपास गुजरात की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। राज्य के गठन के बाद से कपास की उत्पादकता में 459 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की वृद्धि हुई है, जो इस फसल के महत्व को दर्शाता है।" उन्होंने बताया कि स्थानीय शोधकर्ताओं द्वारा विकसित कपास की हाइब्रिड-4 किस्म ने देश में हाइब्रिड कपास युग की शुरुआत की और भारत के समग्र कपास उत्पादन को बढ़ावा दिया। कपास की खेती का वैश्विक महत्व भी कम नहीं है, जिसके कारण हर साल 7 अक्टूबर को विश्व कपास दिवस मनाया जाता है। कपास, जिसे 'सफेद सोना' कहा जाता है, गुजरात के कृषि परिदृश्य का एक अभिन्न अंग है। 1960 में राज्य की स्थापना के समय कपास की उत्पादकता केवल 139 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर थी, जबकि अब यह लगभग 600 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तक पहुँच गई है।
मंत्री पटेल ने भारत में कपास उत्पादन के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि स्वतंत्रता के बाद, भारत को कच्चे कपास की कमी का सामना करना पड़ा, जिससे उसे उच्च लागत पर कपास आयात करना पड़ा। हालांकि, 1971 में सूरत के अनुसंधान फार्म द्वारा विकसित हाइब्रिड-4 किस्म ने इस स्थिति को बदल दिया, और भारत अब अपनी घरेलू कपास की मांग को पूरा करने में सक्षम हो गया है, बल्कि एक निर्यातक भी बन गया है। 2021 में, भारत ने रिकॉर्ड तोड़ 10.78 बिलियन डॉलर मूल्य का कपास निर्यात किया। 2001-02 और 2023-24 के बीच, कपास की खेती का रकबा 17.40 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 26.83 लाख हेक्टेयर हो गया। इसी अवधि में कपास का उत्पादन 17 लाख गांठ से बढ़कर 92.47 लाख गांठ हो गया, जबकि उत्पादकता 165 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 589 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हो गई।
मंत्री पटेल ने उम्मीद जताई कि गुजरात जल्द ही भारत में कपास उत्पादन का केंद्र बनेगा और देश के कुल उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान देगा। उन्होंने यह भी कहा कि गुजरात बीटी कपास सहित नई संकर किस्मों को विकसित करने में अग्रणी रहा है। 2012 में, गुजरात भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त दो बीटी संकर कपास किस्मों वाला पहला राज्य बना। बता दें कि, गुजरात की कपास खेती में हो रहा यह विकास न केवल राज्य की आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रहा है, बल्कि राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर कपास उत्पादन में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। 2030 तक प्राकृतिक रेशों, वस्त्रों और खाद्य तेलों की मांग में वृद्धि के चलते, कपास की खेती के क्षेत्र में नवाचार और अनुसंधान की आवश्यकता और भी बढ़ जाएगी।
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