Crude Oil अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में इस अक्टूबर में इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के चलते लगभग 12 प्रतिशत का उछाल आया है। यदि यह स्थिति जारी रहती है, तो आने वाले समय में भारत पर तेल आयात का दबाव और बढ़ने की संभावना है। 30 सितंबर को ब्रेंट क्रूड की कीमत 71.81 डॉलर प्रति बैरल थी, जो 7 अक्टूबर तक बढ़कर 80 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गई।
इस वृद्धि के पीछे का मुख्य कारण इजरायल की कार्रवाई है, जिसमें ईरान और हिजबुल्लाह के खिलाफ बढ़ता तनाव भी शामिल है। ईरान समेत पश्चिम एशिया के देशों के पास बड़े पैमाने पर पेट्रोलियम निर्यात की क्षमता है। क्षेत्र में लड़ाई बढ़ने से आपूर्ति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका है, जो कच्चे तेल की कीमतों में और वृद्धि कर सकता है।
भारत के लिए यह स्थिति चिंताजनक है क्योंकि देश का आयात खर्च का सबसे बड़ा हिस्सा पेट्रोलियम और कच्चे तेल से संबंधित है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में अप्रैल से अगस्त के बीच भारत ने 6,37,976.02 करोड़ रुपये का पेट्रोलियम आयात किया, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 10.77 प्रतिशत अधिक है। यह स्पष्ट करता है कि भारत शुद्ध पेट्रोलियम आयातक देश है और कच्चे तेल तथा एलएनजी-पीएनजी जैसे उत्पादों के लिए देश की आयात निर्भरता गहरी है।
सरकार इस चुनौती का सामना करने के लिए ऊर्जा के अन्य विकल्पों को अपनाने की कोशिश कर रही है, लेकिन वर्तमान में यह उपाय प्रभावी नहीं हो पा रहे हैं। भारत ने ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों पर ध्यान देने का प्रयास किया है, जैसे कि नवीकरणीय ऊर्जा, लेकिन इन विकल्पों को अपनाने में समय लगेगा और तत्काल प्रभाव से आयात पर निर्भरता को कम नहीं किया जा सकता।
आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के चलते भारत में महंगाई पर भी दबाव बढ़ सकता है। यह स्थिति देश के वित्तीय स्वास्थ्य और महंगाई दर पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। यदि ये कीमतें स्थायी रहती हैं, तो यह भारत के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है, खासकर तब जब देश की अर्थव्यवस्था पहले से ही कई चुनौतियों का सामना कर रही है।
इस परिदृश्य में, भारत को अपनी ऊर्जा नीति को पुनर्विचार करने की आवश्यकता है ताकि कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के प्रभाव को कम किया जा सके। साथ ही, सरकार को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में होने वाले परिवर्तनों पर भी करीबी नजर रखने की जरूरत है, ताकि समय रहते आवश्यक कदम उठाए जा सकें।
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