नई दिल्ली : केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि ग्रामीण उद्यमियों द्वारा संचालित आम सेवा केंद्रों (सीएससी) में भारत बड़ा बदलावा लाने की संभावना व शक्ति है। साथ ही उन्होंने कहा कि सीएससी की मदद से स्थानीय लोगों को सशक्त और ग्रामीण भारत में रोजगार का सृजन किया जा सकता है। प्रसाद ने ‘महिला स्वास्थ्य और स्वच्छता के लिए अनोखी पहल-स्त्री स्वाभिमान’ पर सीएससी की पहल की घोषणा की।
उन्होंने ग्रामीण भारत में आधार, बैंकिंग, बीमा और डिजीटल साक्षरता को बढ़ावा देने जैसी सेवाओं की पेशकश करने वाले ग्राम स्तर के उद्यमियों यानी वीएलई के प्रयासों की सराहना की। ‘स्त्री स्वाभिमान परियोजना’ का उद्देश्य सीएससी के माध्यम से किशोरियों और महिलाओं के लिए उपयोगी सस्ती दर के सेनेटरी उत्पाद सुलभ कराने की एक स्थायी व्यवस्था बनाना है।
प्रसाद ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा और महाराष्ट्र समेत अन्य जगहों से आईं करीब 2,000 महिला उद्यमियों को दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में संबोधित किया। स्त्री स्वाभिमान परियोजना के तहत देश भर के सीएससी में सूक्ष्म सेनेटरी नैपकिन विनिर्माण इकाइयां स्थापित की जा रही है। जिनका संचालन विशेष रूप से महिला उद्यमियों के हाथों में है। एक आधिकारिक जानकारी के अनुसार यह पहल महिला उद्यमियों की जागरुकता और व्यक्तिगत पहुंच से प्रेरित है, जो स्वयं सेनेटरी नैपकिन का उत्पादन और विपणन करेंगी।
पूरे देश में सीएससी के माध्यम से 46,500 से अधिक महिलाएं ग्राम स्तर उद्यमियों के रूप में कार्य कर रही हैं। इसमें कहा गया है कि डिजीटल इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत महिलाओं ने परिवर्तन कारकों (चेंज एजेंटों) के रूप में महत्वपूर्ण निभाई है। यह पहल महिलाओं में स्वास्थ्य और स्वच्छता को बढ़ावा देने के अलावा ग्रामीण सुमदाय की महिलाओं को रोजगार के अवसर भी प्रदान करेगा। हर एक इकाई 8 से 10 महिलाओं को रोजगार मिलता है।
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