केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से वर्ष 2001 से सीबीआई के पास भेजे गए सभी बैंक धोखाधड़ी के विवरण मांगे हैं। सतर्कता आयुक्त टी एम भसीन ने यहां कहा कि इनसे बैंक धोखाधड़ी करने वाले लोगों के काम के तरीके का विश्लेषण करने में मदद मिलेगी। यह केंद्रीय सतर्कता आयोग द्वारा धोखाधड़ी रोकने के लिए बैंकिंग प्रणाली में किए जाने वाले प्रणालीगत सुधार की नयी पहल का हिस्सा है। उन्होंने कहा, हमने भारतीय रिजर्व बैंक से धोखाधड़ी के मामलों का ब्योरा जुटाया है। उन्होंने हमें 111 बड़ खातों का ब्योरा दिया है।
इंडियन बैंक के पूर्व चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक भसीन ने कहा कि सभी बैंकों से तीन करोड़ रुपये या उससे अधिक के धोखाधड़ी के मामलों का ब्योरा मांगा गया है। भसीन ने कहा, 2001 से सीबीआई के पास तीन करोड़ रुपये या उससे अधिक की धोखाधड़ी का मामले भेजे गये हैं, उनकी सूचना जुटाई जा रही है। हमने सार्वजनिक क्षेत्र के मुख्य सतर्कता अधिकारियों से बात की है। उन्हें 15 नवंबर तक आंकड़े देने को कहा गया है। सतर्कता आयुक्त ने कहा कि इन आंकड़ों के विश्लेषण से धोखाधड़ी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले एक जैसे तरीकों का पता लगाया जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि आयोग इस प्रक्रिया के तहत 1,806 प्रमुख धोखाधड़ी के मामलों का विश्लेषण करेगा। वित्त मंत्रालय द्वारा जुलाई में संसद में दी गई जानकारी के अनुसार विथ वर्ष 2016-17 में विभिन्न बैंकों में 23,902 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के 4,851 मामले सामने आए। फिलहाल बैंक रिजर्व बैंक को धोखाधड़ी निगरानी रिटर्न (एफएमआर) के आधार पर धोखाधड़ी के मामलों की जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं। यह जानकारी वे उन्हें प्रदान की गई धोखाधड़ी खुलासा और निगरानी प्रणाली के जरिये उपलब्ध करा रहे हैं। धोखाधड़ी के लिए अपनाए जाने वाले तरीकों को बैंकों द्वारा इंडियन बैंक्स एसोसिएशन को भेजा जाएगा जो इसे आगे भेजेंगे। सीवीसी की योजना धोखाधड़ी के लिए आमतौर पर अपनाए जाने वाले तरीकों का ब्योरा विशेष रूप से इसी के मकसद से तैयार किए जाने वाले पोर्टल पर डालने का है।