नई दिल्ली : भारत समेत दुनिया के 101 देशों में सोमवार से किलोग्राम, एम्पियर, केलविन और मोल की परिभाषा बदल गई। नाप-तौल की सात मूल इकाइयों (एसआई इकाइयों) में शामिल इन चार इकाइयों की परिभाषा बदली गई है। इसके साथ ही सभी एसआई इकाइयों की परिभाषा प्राकृतिक स्थिरांकों पर आधारित हो गयी है। मीटर, सेकेंड और कैंडेला की इकाइयां पहले से ही प्राकृतिक स्थिरांकों पर आधारित थी।
यह नया मानक पूरी दुनिया में वैज्ञानिकों को सटीक माप उपलब्ध कराएगा। इसे एक बार लागू करने के बाद सभी एसआई यूनिट फंडामेंटल कंस्टेंट की प्रकृति पर आधारित होंगी, जिसके मायने हमेशा के लिए तय हो जाएंगे और ये और भी अधिक सटीक पैमाइश कर पाएगा। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (सीएसआईआर) की राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाल (एनपीएल) में एक कार्यक्रम में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के पूर्व निदेशक डॉ. आर. चिदम्बरम् ने भारत में नई परिभाषा अपनाने की घोषणा की।
अंतर्राष्ट्रीय नाप-तौल विज्ञान संगठन के 60 स्थायी देशों और 41 संबद्ध देशों ने 20 मई को विश्व नाप-तौल विज्ञान दिवस के मौके पर नई परिभाषा को अपनाया। सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ. शेखर सी. मांडे ने कहा “यह एक ऐतिहासिक दिवस है। आज से हमने अंतर्राष्ट्रीय इकाइयों को अपना लिया है।” अब सभी एसआई इकाइयां सात प्राकृतिक स्थिरांकों पर आधारित होंगे। ये स्थिरांक हैं- प्लांक स्थिरांक, निर्वात में प्रकाश की गति, हाइपरफाइन ट्रांजिशन आवृत्ति, मूल चार्ज, बोल्ट्जमैन कांस्टेंट, एवोगाद्रो स्थिरांक, ल्युमिनस एफिसियेंसी।
सेकेंड, मीटर और कैंडेला की परिभाषा पहले से ही प्राकृतिक स्थिरांकों पर आधारित थी। नई परिभाषा को पाठ्य पुस्तकों में शामिल करने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् (एनसीईआरटी) को अनुशंसा की जायेगी जिसका प्रारूप आज जारी किया गया। अभियांत्रिकी के छात्रों के पाठ्यक्रम में मापतौल इकाइयों की परिभाषा में बदलाव के लिए भी अनुशंसा का प्रारूप जारी किया गया है।