नई दिल्ली: पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने प्राकृतिक गैस को अप्रत्यक्ष कर की एकल व्यवस्था माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने की आज जोरदार वकालत की और कहा कि जब अधिक प्रदूषण फैलाने वाला कोयला इंधन जीएसटी में शामिल हो सकता है तो पर्यावरण अनुकूल प्राकृतिक गैस इंधन निश्चित रूप से इसका हकदार है। प्रधान ने केपीएमजी रूर्जा शिखर सम्मेलन में सवाल किया।कोयले को जीएसटी में शामिल किया गया है और पांच प्रतिशत कर लगाया गया है लेकिन गैस को इससे बाहर रखा गया है। यह कितना निष्पक्ष है।
कच्चा तेल, पेट्रोल, डीजल, विमान इंधन (एटीएफ) तथा प्राकृतिक गैस को जीएसटी में शामिल नहीं किया गया है। इन पर उत्पाद शुल्क, सेवा कर तथा वैट समेत एक दर्जन से अधिक अप्रत्यक्ष कर लगते हैं। जीएसटी एक जुलाई से लागू हुआ। इससे जहां तेल एवं गैस उद्योग जो भी वस्तु एवं सेवाओं की खरीद करता है, उस पर जीएसटी लगता है जबकि तेल एवं गैस तथा पेट्रोलियम उत्पादों की आपूर्ति पर उत्पाद शुल्क तथा वैट जैसे कर लगते हैं।
नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था के तहत जहां दूसरे उद्योग कर भुगतान पर क्रेडिट ले सकते हैं, वहीं तेल एवं गैस उद्योग के लिये इनपुट जीएसटी के मामले में कोई क्रेडिट नहीं होता। इससे उद्योग पर अप्रत्यक्ष कर का अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। पेट्रोलियम मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय को पत्र लिखकर प्राकृतिक गैस को जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार करने को कहा था।