नागरिक उड्डयन मंत्रालय विमान के ईंधन को माल एवं सेवाकर (जीएसटी) के दायरे में लाने की दिशा में काम कर रहा है। हमने इस मुद्दे को वित्त मंत्रालय के समक्ष उठाया है। विमानन उद्योग एवं माल-परिवहन सेवा पर एक वैश्विक वीडियो सम्मेलन को संबोधित करते हुए नागरिक उड्डयन सचिव प्रदीप सिंह खरोला ने कहा कि मंत्रालय ने देश के विशाल वायु क्षेत्र को अधिक से अधिक अच्छे तरीके से इस्तेमाल के लिए भी कई कदम उठाए हैं।
उन्होंने कहा कि इससे भारत के विमानन क्षेत्र से गुजरने वाली अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के साथ साथ घरेलू विमानन कंपनियों को लागत कम करने में मदद मिलेगी। विमान कंपनियों के परिचालन में 45 से 55 प्रतिशत तक लागत एविसेशन टरबाइन फ्यूल (एटीएफ) यानी विमान ईंधन की होती है। भारत में यह लागत दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले सबसे अधिक है। यही वजह है कि विमानन उद्योग लंबे समय से एटीएफ को जीएसटी के दायरे में लाये जाने की मांग करता आ रहा है।खरोला ने इस संबंध में कहा, ‘‘हम इस दिशा में काम कर रहे हैं (एटीएफ को जीएसटी के दायरे में लाने पर) और मामले को वित्त मंत्रालय के समक्ष उठाया गया है … इसे जीएसटी परिषद के समक्ष रखना होगा। हम इसके लिये काम कर रहे हैं।’’
पीएचडी वाणिज्य एवं उद्योग मंडल द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में उन्होंने देश के विमानन क्षेत्र के ईष्टतम इस्तेमाल के लिये उठाये गये कदमों के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि इन उपायों के चलते माल और यात्री परिवहन वाले दोनों तरह की एयरलाइनों को तय यात्रा में अधिकाधिक लाभ उठाने और लागत कम करने में मदद मिलेगी।
खरोला ने कहा, ‘‘आर्थिक क्षेत्र के बड़े हिस्से को काफी संकट के दौर से गुजरना पड़ा है और विमानन क्षेत्र के मामले में भी यह सचाई है। लेकिन कम से कम भारतीय विमानन क्षेत्र के बारे में मैं कह सकता हूं कि इसने कई चुनौतियों का मुकाबला किया लेकिन फिर भी यह चल रहा है और इसमें हवाई माल परिवहन का प्रमुख योगदान रहा है।’’
उन्होंने कहा इससे यह पता चलता है कि हवाई माल परिवहन की न केवल घरेलू स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी काफी संभावनायें हैं। कार्यक्रम के दौरान संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के भारत में राजदूत अरमद ए आर एल्बान्ना ने अपने मुख्य अतिथि के तौर पर दिये संबोधन में कहा, ‘‘हम भारत के साथ अपने नागरिक उड्डयन संपर्को को और विस्तार देने के लिये नजदीकी से काम कर रहे हैं। हम दोनों देशों के बीच हवाई सेवा समझौते (एएसए) के तहत तय नियमित उड़ानों को जल्द शुरू करने पर काम कर रहे हैं।’’ अहमद ने कहा कि कोविड- 19 संकट से पहले दोनों देशों के एयरलाइनों द्वारा समझौते के तहत हर सप्ताह 1,068 उड़ानों का परिचालन किया जाता रहा है जो यात्रा प्रतिबंधों के चलते बंद हैं।