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गरीब राज्यों से पहले एमएसपी पर अनाज खरीदे एफसीआई : अर्थशास्त्री

देश में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सबसे ज्यादा फसलों की खरीद पंजाब और हरियाणा में होती है, जबकि अन्य राज्यों में सरकारी खरीद कम होती है।

देश में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सबसे ज्यादा फसलों की खरीद पंजाब और हरियाणा में होती है, जबकि अन्य राज्यों में सरकारी खरीद कम होती है। यही वहज है कि इन राज्यों के किसान औने-पौने भाव पर अपनी फसल बेचने को मजबूर होते हैं।
मिसाल के तौर पर बिहार को देखा जा सकता है, जहां के किसान एमएसपी का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं और उनकी माली हालत खराब है। अर्थशास्त्री विजय सरदाना कहते हैं कि सरकार को ऐसी नीति बनानी चाहिए कि एमएसपी पर फसलों की खरीद में गरीब राज्यों को प्राथमिकता मिले।
पंजाब और हरियाणा में गेहूं और धान की जितनी पैदावार होती है, उसका करीब 70 फीसदी अनाज भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा खरीदा जाता है। एफसीआई इस अनाज का उपयोग राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) की जरूरतों को पूरा करने के लिए करती है।
कृषि अर्थशास्त्र के जानकार विजय सरदाना ने कहा कि, पिछले 40 साल से एफसीआई ने पंजाब और हरियाणा से फसलों की खरीदारी की और दोनों राज्यों को सक्षम बनाया और वहां मंडी सिस्टम तैयार हुआ, कलेक्शन सेंटर खुल गए और किसानों ने एमएसपी पर फसलों की खरीद का लाभ उठाया।
इससे वहां के किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई जबकि बिहार के किसानों को ऐसा लाभ नहीं मिला। सरदाना ने कहा, सरकार को ऐसी नीति बनानी चाहिए कि एफसीआई पहले वहां से अनाज खरीदे जो सबसे गरीब राज्य हैं और हर साल मूल्यांकन के बाद तय किया जाए कि अगले दो या तीन साल के दौरान किन राज्यों से और कितना अनाज एफसीआई खरीदेगी।
जो गरीब राज्य हैं वहां एफसीआई की खरीदारी होने से किसानों को मार्केट सपोर्ट मिलेगा, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति सुधरेगी। साथ ही, इन राज्यों में भी इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार होगा, खरीद केंद्र खुलेंगे। उन्होंने बताया कि फसलों की सरकारी खरीद में एफसीआई हर साल किसानों और मंडियों में 8,000 से 10,000 करोड़ रुपये बांटती है और यह पैसा जब गरीब राज्यों में जाएगा तो वहां इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार होगा कलेक्शन सेंटर खुलेंगे।
चालू खरीफ विपणन सीजन में धान की सरकारी खरीद 318 लाख टन हो चुकी है, जिसमें 203 लाख टन धान सिर्फ पंजाब में खरीदा गया है, जबकि बिहार में 30 लाख टन खरीद का लक्ष्य है और खरीद की प्रक्रिया अभी शुरू ही हुई है। सरदाना ने कहा कि, करदाताओं के पैसे से फसलों की जो सरकारी खरीद होती है, उसका लाभ गरीब राज्यों को पहले मिलना चाहिए। पंजाब और हरियाणा में बीते 40 साल से किसानों को इसका लाभ मिल रहा है।
केंद्र सरकार द्वारा लागू तीन नये कृषि काननों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर बीते एक सप्ताह से प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों में ज्यादातर पंजाब और हरियाणा के ही हैं और इनके आंदोलन में एमएसपी एक बड़ा मुद्दा है। वे एमएसपी पर फसलों की खरीद जारी रखने की गारंटी की मांग कर रहे हैं।

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पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।