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कोरोना वायरस के चलते आर्थिक मंदी की आशंका में शेयर बाजारों में आई गिरावट, सेंसेक्स 810.98 गिरा

आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के सरकारों और केंद्रीय बैंकों के नए कदमों के बाावजूद कोराना वायरस के चलती उथल पथल से बाजार का विश्वास डिग रहा है

कोरोना वायरस की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था के मंदी की तरफ बढ़ने की आशंका गहराती जा रही है और इसका असर शेयर बाजारों में भारी उतार चढ़ाव के रूप में दिख रहा है। इसी माहौल में मंगलवार को घरेलू शेयर बाजारों के प्रमुख सूचकांकों में शुरुआती सुधार के बाद अंत में ढाई प्रतिशत से अधिक की गिरावट रही।
आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के सरकारों और केंद्रीय बैंकों के नए कदमों के बाावजूद कोराना वायरस के चलती उथल पथल से बाजार का विश्वास डिग रहा है। विदेशी पूंजी की निकसी बढ़ने तथा रुपये की नरमी का भी बाजार के मनोबल पर असर बताया जा रहा है। 
बीएसई 30 सेंसेक्स दिन में ज्यादातर समय बढ़त में रहने के बाद अंतिम समय में हुई जबरदस्त बिकवाली के चलते 810.98 अंक यानी 2.58 प्रतिशत गिरकर 30,579.09 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान सेंसेक्स में कुल मिला कर 1,653 अंक के दायरे में उतार-चढ़ाव हुआ। 
इसी तरह एनएसई का निफ्टी भी 230.25 अंक यानी 2.50 प्रतिशत गिरकर 8,967.05 अंक पर आ गया। यह मार्च 2017 के बाद पहली बार हुआ है जब निफ्टी नौ हजार अंक के स्तर से नीचे आ गया है।  कारोबारियों ने कहा कि विदेशी निवेशकों की निकासी जारी रहने तथा रुपये की नरमी बरकरार रहने का भी घरेलू शेयर बाजारों पर दबाव रहा। 
सेंसेक्स की कंपनियों में आईसीआईसीआई बैंक में सर्वाधिक 8.95 प्रतिशत की गिरावट रही। इसके साथ ही इंडसइंड बैंक में 8.89 प्रतिशत, बजाज फाइनेंस में 6.26 प्रतिशत, कोटक महिंद्रा बैंक में 4.53 प्रतिशत, एचडीएफसी में 4.74 प्रतिशत और इंफोसिस में 4.68 प्रतिशत की गिरावट रही। हालांकि, कारोबार में हिंदुस्तान यूनिलीवर, हीरो मोटोकॉर्प, पावरग्रिड, मारुति सुजुकी और एशियन पेंट्स में तेजी रही।
 कारोबारियों ने कहा कि शुरुआत में सस्ते भाव पर निवेशकों की खरीदारी होने से शेयर बाजारों को तेजी मिली। हालांकि, शेयर बाजार इस तेजी को बचा नहीं सके और कोरोना वायरस के कारण आर्थिक मंदी की आशंका में लुढ़क गये। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि दिन में ज्यादातर समय बढ़त में रहने के बाद कारोबार के अंतिम समय में शेयर बाजार गिर गये। 
वित्त क्षेत्र की कंपनियों में सर्वाधिक बिकवाली हुई। यूरोपीय बाजार और अमेरिका बाजार ने धारणा को और बिगाड़ा।  उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के कहर से निजात मिलने के कोई संकेत नहीं दिखाई दे रहे हैं। केंद्रीय बैंकों की मौद्रिक नीतिगत उपायों का सीमित असर हो पा रहा है। ऐसे में वायरस के संक्रमण को रोकने के लिये अधिक कदम उठाने की जरूरत है।  बीएसई के बैंकिंग, वित्त, दूरसंचार, प्रौद्योगिकी, सूचना प्रौद्योगिकी और रियल्टी समूह में 4.46 प्रतिशत तक की गिरावट रही। 
एशियाई बाजारों में चीन का शंघाई कंपोजिट और दक्षिण कोरिया का कोस्पी गिरावट में रहे। हांगकांग का हैंगसेंग और जापान का निक्की सूचकांक लाभ में रहे।  शुरुआती कारोबार में यूरोपीय बाजार तीन प्रतिशत तक की गिरावट में चल रहे थे।  इस बीच रुपया डॉलर की तुलना में मामूली तेजी के साथ 74.20 रुपये प्रति डॉलर पर चल रहा था। वायदा तेल बाजार में ब्रेंट क्रूड 1.06 प्रतिशत गिरकर 29.73 डॉलर प्रति बैरल पर चल रहा था। 
 नए कोरोना वायरस से विश्वभर में पौने दो लाख से अधिक लोग पीड़ित है और 7000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। तेजी से फैली इस महामारी की रोकथाम के लिए सरकारें और कंपनियां लोगों की आवाजाही पर पाबंदियां लगा रही है। लेगा खुद भीड़ भाड़ से बच रहे हैं। इसका असर व्यापक रूप से बाजार पर पड़ रहा है। 

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