गत सप्ताह बारीक चावल सेला व स्टीम का निर्यात लगातार गिरने से 1121 एवं 1509 सहित सभी बासमती प्रजाति के चावल में मंदे का दलदल बन गया। मोटे चावल भी धान के भाव टूटने एवं घरेलू व निर्यात मांग ठंडी पड़ जाने से काफी नीचे आ गये। इसके अलावा दलहनों में भी मसूर, तुवर, चना एवं काबली चने में मंदे का रुख बना रहा तथा अब औसतन सभी बाजारों में व्यापार 40 प्रतिशत रह जाने से कारोबारी निराश हो चुके हैं।
आलोच्य सप्ताह तरावड़ी, कैथल, टोहाना, चीका, अमृतसर, जांडियालागुरू के साथ-साथ यूपी के दादरी, बरेली, जहांगीराबाद, इटावा, आगरा सभी उत्पादक मंडियों में बारीक धान की आवक कम होने के बावजूद निर्यात मांग के अभाव में राइस मिलों की मांग 40-50 प्रतिशत रह गयी। ईरान से निर्यात बंद होने से बासमती चावल पर जबरदस्त व्यापार का झटका लगा हुआ है। घरेलू मांग भी रुपए की तंगी एवं जीएसटी के चलते प्रभावित हुई है। यही कारण है कि उक्त अवधि के अंतराल राइस मिलों में 1121 सेला चावल 200/250 रुपए टूटकर 5200/5250 रुपए प्रति क्विंटल रह गया।
स्टीम चावल के भाव भी उसी अनुपात में घटकर 5700/5800 रुपए रह गये। यहां भी लगभग इसी भाव पर छिटपुट व्यापार सुना गया। हरियाणा के तरावड़ी, करनाल लाइन में 1121 धान 150 रुपए टूटकर 2800/2850 रुपए एवं यूपी में 2675/2750 रह गये। चावल 1509 सेला का व्यापार यहां 5000/5050 रुपए लोकल में हुआ।
जबकि दादरी की राइस मिलों ने 4950 रुपए में यूपी पहुंच में माल बेचा। इसके अलावा मोटे चावल में भी पूर्वी यूपी एवं बिहार से हरियाणा पहुंच में 50 रुपए घटकर धान का व्यापार 1640/1660 रुपए में होने से इसका चावल भी 25/50 रुपए घट गया। सरकार को निर्यातकों के लिए 20 प्रतिशत सब्सिडी देने पर ही निर्यात को प्रोत्साहन होगा तथा किसानों का धान ऊंचा बिक पायेगा। इसके अलावा दलहनों में मसूर हाजिर माल की कमी के बावजूद दाल मिलों की मांग ठंडी पड़ जाने से कनाडा वाली 4950 से घटकर 4850 रुपए रह गयी।
बिल्टी में भी उसी अनुपात में मंदा आ गया। देशी चना भी लगातार डिब्बा टूटने से खड़ी मोटर में 100 रुपए टूटकर 4225/4300 रुपए प्रति क्विंटल एमपी-राजस्थान का रह गया। दाल के भाव भी 50/100 रुपए घट गये। काबली चना व मटर के भाव भी उक्त अवधि के अंतराल 100 रुपए घटकर क्रमश: मीडियम 4800/4900 रुपए एवं 5800/5900 रुपए कनाडा की रह गये। अंतिम दिन बजट के बाद दलहनों में 20/25 रुपए की मजबूती आ गयी।