नई दिल्ली : आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कि कहा कि सार्वजनिक कर्ज पहले से ऊंचा बना हुआ है और अगले चार-पांच साल में इसे कम करने की आवश्यकता है। राजकोषीय घाटा जीडीपी के तीन प्रतिशत के अनुकूल स्तर की ओर बढ़ने तथा मुद्रास्फीति नरम होने को रेखांकित करते हुए गर्ग ने यह भी कहा कि वृहत आर्थिक मानकों पर देश की अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है और इस मामले में भारत दुनिया सबसे अच्छी अर्थव्यवस्थाओं में है।
उद्योग मंडल फिक्की की सालाना आम बैठक को संबोधित करते हुए गर्ग ने कहा कि हमारे ऊपर अभी भी सार्वजनिक कर्ज अधिक है, हो सकता है अगले 4-5 साल में हमें इस पर ध्यान देना होगा। साख निर्धारण करने वाली एजेंसियों ने सार्वजनिक कर्ज के बढ़ते स्तर को लेकर चिंता जतायी और देश की साख उन्नत करने से दूर रहे। उन्होंने कहा कि ज्यादातर क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां कर्ज-जीडीपी अनुपात को अधिक महत्व देते हैं।
फिलहाल हम राजकोषीय घाटे पर ध्यान दे रहे हैं। लेकिन आने वाले समय में यह क्षेत्र हैं जहां हमें ध्यान देना होगा। मुद्रास्फीति के बारे में गर्ग ने कहा कि मुझे लगता है कि हमने कमोबेश मैदान जीत लिया है। मैं यह नहीं कहूंगा कि अब कोई मुश्किल हो ही नहीं सकती। तेल की कीमत जैसे कुछ कारक हैं जो हमारे नियंत्रण से बाहर हैं।
लेकिन मुझे लगता है कि हम इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि मुद्रास्फीति को लेकर चिंता कम हुई है। मुख्य मुद्रास्फीति नवंबर में घटकर 2.33 प्रतिशत पर आ गयी जो 17 महीने का न्यूनतम स्तर है। इसका मुख्य कारण अनुकूल तुलनात्मक आधार तथा सब्जी तथा अनाज के दाम में कमी है।