दिल्ली की एक निचली अदालत ने बुधवार को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के पूर्व महानिदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी रवि नारायण को स्टॉक एक्सचेंज के कर्मचारियों की कथित तौर पर अवैध फोन टैपिंग करने से संबंधित धनशोधन मामले में दो दिन के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में भेज दिया गया।
ईडी ने नारायण को आज विशेष न्यायाधीश सुनैना शर्मा के समक्ष पेश किया और आरोपी को दो दिन के लिए ईडी की हिरासत में भेजने का अनुरोध किया, जिसे स्वीकार कर लिया गया।
ईडी की ओर से पेश हुए विशेष सरकारी वकील एन. के. मत्ता ने अदालत के समक्ष दलील दी कि इस मामले में व्यापक साजिश का भंडाफोड़ करने के लिए अन्य आरोपियों से आमना-सामना कराने तथा साक्ष्यों के संबंध में पूछताछ के वास्ते नारायण की हिरासत आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि मामले में पैसे के लेन-देन की जांच के लिए नारायण से पूछताछ की जरूरत है।
न्यायाधीश ने कहा, “ अभी ऐसा प्रतीत होता है कि केवल एनएसई के पूर्व प्रमुख चित्रा रामकृष्ण, रवि नारायण और एनएसई के अन्य शीर्ष अधिकारियों की सक्रिय सहायता और मदद से ही आईसेक सर्विसेज 4.54 करोड़ रुपये अर्जित करने में सक्षम हो सका था और इसे एक वैध स्रोत के माध्यम से कमाया गया धन बताया। ’’
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘उपरोक्त तथ्यों और मामले की परिस्थितियों के आलोक में, ईडी के पास धनशोधन के आरोपों की जांच के लिए आगे बढ़ने और मामले में गहरी साजिश का पता लगाने के लिए आरोपी से पूछताछ के वास्ते आरोपी को हिरासत में लेने के पर्याप्त आधार हैं।’’
ईडी ने नारायण को मंगलवार को गिरफ्तार किया था। वह अप्रैल 1994 से 31 मार्च 2013 तक एनएसई के पूर्व एमडी एवं सीईओ रहे थे। उसके बाद उन्हें एक अप्रैल, 2013 से एक जून, 2017 तक कंपनी के बोर्ड में गैर-कार्यकारी श्रेणी में उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था।
ईडी ने 2009 से 2017 तक कथित तौर पर फोन टेप करने के मामले में मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त संजय पांडेय और नारायण के खिलाफ ‘प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट’ (ईसीआईआर) दर्ज कराई थी।
‘को-लोकेशन’ घोटाला मामले में धनशोधन मानकों के कथित उल्लंघन को लेकर यह दूसरा मामला है, जिसकी जांच ईडी कर रहा है।
पांडेय और पूर्व एनएसई प्रमुख चित्रा रामकृष्ण को इस मामले में गत जुलाई में गिरफ्तार किया गया था।
पांडेय की कंपनी आईसेक सर्विसेज 2001 में गठित कई आईटी फर्म में से एक थी, जिन्होंने 2010 और 2015 के बीच एनएसई में उस वक्त सुरक्षा ऑडिट किया था, जब कथित तौर पर को-लोकेशन’ घोटाला हुआ था।