केंद्र सरकार वित्त वर्ष 2022-23 में एसेट मोनेटाइजेशन के जरिेए 1.62 लाख करोड़ रुपये के अपने टार्गेट को हासिल करने के लिए लगातार कदम उठा रही है। जिसमें पॉवर लाइन, गैस पाइपलाइन, सड़क और रेलवे की संपत्तियों को मोनेटाइज किया जाना है। अब सरकार इस प्रोग्राम पर सुपरफास्ट तरीके से आगे बढ़ना चाहती है,ताकि वित्त वर्ष 2022-23 के लक्ष्य को पूरा किया जा सके।
मीड़िया रिपोर्टस के मुताबिक इस काम को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए कैबिनेट सचिव राजीव गौबा एक अहम बैठक करने जा रहे हैं। इसमें 12 अहम मंत्रालयों के सचिव शामिल होने वाले हैं।
जहां विभागों में मोनेटाइजेशन का रोडमैप तैयार किया जाएगा। इसी के साथ इन विभागों के लिए टाइमलाइन भी तय करने पर चर्चा होगी।
मोनेटाइजेशन का मतलब बेचना नहीं
जब सरकार ने संपत्तियों के मौद्रीकरण के लिए National Monetisation Pipeline कार्यक्रम बनाया है। इस महीने की शुरुआत में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस प्रोग्राम की समीक्षा भी की थी। जब सरकार ने इसका ऐलान किया था। तब विपक्ष ने सरकार पर सरकारी संपत्तियों को बेचने (प्राइवेटाइजेशन) करने का आरोप लगाया था। यानी की सरकारी सपंत्ति प्राइवेटाइजेशन आरोप लगाया। लेकिन इस बारे में सरकार ने साफ किया है कि मोनेटाइजेशन का मतलब संपत्ति को बेचने से नहीं है, बल्कि एक तरह से सरकार इन संपत्तियों को किराये पर चढ़ा रही है।