नई दिल्ली : सरकार के खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी के फैसले से मुद्रास्फीतिक दबाव बढ़ने के साथ ही सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर भी 0.1 से 0.2 प्रतिशत तक प्रभाव पड़ सकता है। डीबीएस की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है। वैश्विक वित्तीय सेवा क्षेत्र की कंपनी के अनुसार ऊंचे एमएसपी से मुद्रास्फीतिक दबाव बढ़ने के साथ साथ इसकी वित्तीय लागत भी होती है। डीबीएस के शोध नोट में कहा गया है कि इसका जीडीपी पर 0.1 से 0.2 प्रतिशत का असर होगा। ऐसे में 2018-19 के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पाने के लिए ऊंचे राजस्व समर्थन या खर्च कम करने की जरूरत होगी।
आम चुनावों से पहले किसानों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने चार जुलाई को धान के एमएसपी में रिकॉर्ड 200 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की है। वहीं खरीफ की अन्य फसलों के एमएसपी में 52 प्रतिशत तक वृद्धि की गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस कदम से खाद्य सब्सिडी बिल बढ़कर दो लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा जबकि 2018-19 के बजट में इसके लिए 1.70 लाख करोड़ रुपये रखे गए हैं।इससे मुद्रास्फीति बढ़ने का जोखिम है।
साथ ही राजकोषीय घाटा बढ़ने का भी अंदेशा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि शेष बचे वर्ष में इसका मुद्रास्फीति पर 0.25 से 0.30 प्रतिशत तक का असर पड़ेगा। रिजर्व बैंक के नीतिगत उपायों को लेकर रिपोर्ट में कहा गय है कि एमएसपी बढ़ने से मुद्रास्फीति पर दबाव बढ़ेगा, वित्तीय लक्ष्यों को हासिल करना मुश्किल होगा। और इस स्थिति में केन्द्रीय बैंक मुख्य नीतिगत दर में एक और वृद्धि कर सकता है।