नई दिल्ली : देश की जीडीपी ग्रोथ साल 2017-2018 के बीच 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। साल 2016-17 में जीडीपी की ग्रोथ रेट 7.1% थी। सेंट्रल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस (CSO) के द्वारा जारी आंकड़ों से यह बात सामने आई है। नोटबंदी और जीएसटी के बाद अर्थव्यवस्था की खराब हालत का आरोप झेल रही सरकार के लिए यह आंकडे़ किसी झटके से कम नहीं है। नए आकड़ों से अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी होने की अटकलों को बल मिला है।
इस पूर्वानुमान के मुताबिक कृषि, वनीकरण और मछली पकड़ने के क्षेत्र में विकास 2.1 प्रतिशत की उम्मीद है, जबकि इन क्षेत्रों में पिछले साल 2016-17 में 4.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी। वहीं, विनिर्माण क्षेत्र में 4.6 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है, जबकि 2016-17 में 7.9 प्रतिशत दर्ज की गई थी। वित्तीय, रियल एस्टेट और प्रोफेशनल सर्विसेज सेक्टर में वृद्धि 7.3 फीसदी से बढ़ने की उम्मीद है जो 2016-17 में 5.7 फीसदी दर्ज की गई थी।
सिंतबर महीने में जीडीपी की ग्रोथ रेट 6.3 फीसदी दर्ज की गई थी, जो अप्रैल-जून तिमाही में यह लगभग 5.7 प्रतिशत के निचले स्तर पर आ गई थी। यह तीन साल के सबसे निचले स्तर पर था। पिछले दिनों जारी आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल-जून तिमाही में आर्थिक विकास दर तीन साल के सबसे निचले स्तर पर चली गई थी।इसके लिए जीएसटी और नोटबंदी जैसे सरकार के फैसले को जिम्मेवार ठहराया गया था।
एक निजी क्षेत्र के सर्वेक्षण में मंगलवार को दिखाया गया कि दिसंबर में पिछले पांच वर्षों में फैक्ट्री गतिविधि का सबसे तेज गति से विस्तार हुआ है। बता दें कि इससे पहले अप्रैल-जून तिहामी में विकास दर 5.7 फीसदी था, जो लगभग 3 साल का सबसे निचला स्तर था। उस वक्त वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी के 1 जुलाई से लागू होने से पहले ही बाजार ने इस गिरावट के संकेत दे दिये थे।
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