मुंबई : चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर अधिक तेज रहेगी, लेकिन दूसरी छमाही में इस पर दबाव रहेगा और यह 7.5 प्रतिशत पर सीमित रह सकती है। जापानी ब्रोकरेज कंपनी नोमूरा ने यह अनुमान लगाया है। नोमूरा की भारत में मुख्य अर्थशास्त्री सोनल वर्मा ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी तथा कच्चे तेल के दाम चक्रीय और व्यापक बताये जा रहे सुधार के टिकाऊपन को लेकर आशंका पैदा करते हैं। उन्होंने कहा कि पहली छमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 7.5 से 8 प्रतिशत रहेगी , लेकिन दूसरी छमाही में यह नीचे आएगी।
2018-19 में जीडीपी की वृद्धि दर कुल मिलाकर 7.5 प्रतिशत रहेगी। उल्लेखनीय है कि बीते वित्त वर्ष की पहली छमाही में जीडीपी की वृद्धि दर कम रही थी। विश्लेषकों ने इसकी वजह माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के क्रियान्वयन और नोटबंदी के प्रभाव को बताया था। बीते वित्त वर्ष में जीडीपी की वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रही है। मार्च तिमाही में यह 7.7 प्रतिशत रही है। वर्मा ने कहा कि हाल के समय में वित्तीय परिस्थितियां सख्त हो रही हैं। उन्होंने आगाह किया कि आगे चलकर इसका निजी निवेश पर प्रभाव पड़ सकता है।
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