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एविएशन सेक्टर को 12 हजार करोड़ रुपये का राहत पैकेज दे सकती हैं सरकार

एयरलाइंस बकाया टैक्स का भुगतान बाद में बिना ब्याज कर सकेंगी। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने रेस्क्यू पैकेज का प्रस्ताव दिया है

कोरोना वायरस की वजह से मंदी झेल रहे एविएशन सेक्टर को राहत देने के लिए सरकार 1.6 अरब डॉलर (12000 करोड़ रुपए) के पैकेज का ऐलान कर सकती है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से गुरुवार को यह जानकारी दी। इसके मुताबिक वित्त मंत्रालय एविएशन सेक्टर पर लागू ज्यादातर टैक्स के भुगतान में छूट देने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है।
 एयरलाइंस बकाया टैक्स का भुगतान बाद में बिना ब्याज कर सकेंगी। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने रेस्क्यू पैकेज का प्रस्ताव दिया है। विस्तारा और गोएयर ने सभी अंतरराष्ट्रीय उड़ानें फिलहाल बंद कर दी हैं। देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो भी विदेश की कई उड़ानें रद्द कर चुकी है। 
ग्लोबल एविएशन कंसल्टेंसी (सीएपीए) की भारतीय यूनिट का कहना है कि सरकार से मदद नहीं मिली तो ज्यादातर एयरलाइंस को ऑपरेशंस घटाने होंगे। गंभीर स्थिति वाली कंपनियां बंद भी हो सकती हैं। सीएपीए का अनुमान है कि एयर इंडिया समेत देश की सभी एयरलाइंस को जनवरी-मार्च तिमाही में 60 करोड़ डॉलर (4,500 करोड़ रुपए) का घाटा होगा।
दुनियाभर के एविएशन सेक्टर को 15 लाख करोड़ के बेलआउट की जरूरत: भारत में ही नहीं बल्कि दुनियाभर की एविएशन इंडस्ट्री कोरोनावायरस की वजह से संकट में है। बुकिंग नहीं होने की वजह से एयरलाइंस को प्लेन खड़े करने पड़ रहे हैं और कर्मचारियों की छंटनी की जा रही है। इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आईएटीए) के मुताबिक मौजूदा हालात में एयरलाइन कंपनियों के लिए 200 अरब डॉलर (15 लाख करोड़ रुपए) के बेलआउट की जरूरत पड़ सकती है।
पैकेज से एक उद्योग को ही ज्यादा लाभ न मिले: हवाईअड्डा संचालकों के संगठन एयरपोर्ट काउंसिल इंटरनेशनल (एसीआई) ने आज एक रिपोर्ट में बताया कि कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने के बाद से हवाई अड्डों पर विमानों की आवाजाही तथा आर्थिक गतिविधियों में भारी कमी आयी है। इससे विमानन क्षेत्र से जुड़ हर उद्योग को नुकसान हो रहा है तथा वर्तमान परिस्थितियों के हिसाब से इस वर्ष हवाई अड्डा उद्योग को कम से कम 20 अरब डॉलर का नुकसान होगा जो 25 अरब डॉलर तक भी बढ़ सकता है। 
एसीआई की वैश्विक महानिदेशक ऐंजेला गिटेन्स ने कहा ‘‘विमानन क्षेत्र में यह धारणा है कि संकट की इस घड़ में हम सब एक साथ हैं। कोई भी आर्थिक पैकेज इस प्रकार तैयार नहीं किया जाना चाहिये कि क्षेत्र के एक उद्योग को उसका ज्यादा लाभ मिले।’’ 

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