नई दिल्ली : दिसंबर 2019 में खुदरा महंगाई दर 2.19% पर पहुंच गई। यह 18 महीनों में सबसे कम है। वहीं, थोक महंगाई दर दिसंबर 2018 में घटकर 3.8% रह गई। यह 8 महीने में सबसे कम है। विशेष रूप से ईंधन और खाद्य पदार्थों की कीमतें कम होने से मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ा है। इससे भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद बढ़ी है।
यह लगातार दूसरा महीना है जब मुद्रास्फीति में गिरावट दर्ज की गई है। इससे पहले नवंबर में थोक मुद्रास्फीति 4.64 प्रतिशत और अक्टूबर में 5.54 प्रतिशत थी। दिसंबर 2017 में मुद्रास्फीति 3.58 प्रतिशत थी। सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार दिसंबर में खाद्य पदार्थों में 0.07 प्रतिशत महंगाई घटी है। जबकि नवंबर में इसमें अवस्फीति 3.31 प्रतिशत थी। इसी तरह सब्जियों में भी अवस्फीति देखी गई। दिसंबर में यह 17.55 प्रतिशत रही, हालांकि नवंबर में यह 26.98 प्रतिशत थी।
ईंधन एवं ऊर्जा क्षेत्र में दिसंबर में मुद्रास्फीति घटकर 8.38 प्रतिशत रही जो नवंबर की 16.28 प्रतिशत मुद्रास्फीति के मुकाबले लगभग आधी है। इसकी अहम वजह दिसंबर में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी आना है। अलग-अलग देखें तो दिसंबर में पेट्रोल कीमतों की मुद्रास्फीति 1.57 प्रतिशत और डीजल कीमतों की 8.61 प्रतिशत रही है। वही एलपीजी में यह 6.87 प्रतिशत रही।
इस पर उद्योग मंडल एसोचैम ने कहा कि थोक मुद्रास्फीति में लगातार गिरावट और ईंधन की वैश्विक कीमतों के कम होने से मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के पास अच्छा मौका है कि वह जल्द से जल्द नीतिगत ब्याज दरों को कम करे ताकि निवेश को बढ़ाया जा सके और औद्योगिक वृद्धि में सुधार हो सके। विनिर्मित वस्तुओं में मुद्रास्फीति का स्तर दिसंबर में 3.59 प्रतिशत रहा जो नवंबर में 4.21 प्रतिशत था।