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वित्त वर्ष 2019-20 में ग्रॉस डायरेक्ट टैक्स 4.92 फीसदी गिरकर 12.33 लाख करोड़ रुपये रहा

यद्यपि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने 2019-20 के लिए शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह के आंकड़े जारी नहीं किए हैं। लेकिन 12.33 लाख करोड़ रुपये के सकल कर संग्रह में से 1.84 लाख करोड़ रुपये के जारी रिफंड घटाने पर शुद्ध प्रत्यक्ष का संग्रह 10.49 लाख करोड़ रुपये बैठता है

देश का सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह (ग्रॉस डायरेक्ट टैक्स) वित्त वर्ष 2019-20 में 4.92 प्रतिशत गिरकर 12.33 लाख करोड़ रुपये रह गया। इसकी प्रमुख वजह कॉरपोरेट कर की दरों में कटौती, मानक कटौती और व्यक्तिगत आयकर की छूट की सीमा बढ़ाया जाना है। आयकर विभाग ने रविवार को कहा कि यदि व्यक्तिगत आयकर और कॉरपोरेट आयकर को पुरानी दरों से वसूला जाता, तो 2019-20 के दौरान सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह आठ प्रतिशत बढ़कर 14.01 लाख करोड़ रुपये हो सकता था। वित्त वर्ष 2018-19 में सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 12,97,674 करोड़ रुपये था। सरकार ने 2019-20 के लिए प्रत्यक्ष कर संग्रह लक्ष्य घटाकर 11.70 लाख करोड़ रुपये कर दिया था। जबकि जुलाई 2019 में पेश आम बजट में यह लक्ष्य 13.3 लाख करोड़ रुपये रखा गया था।
यद्यपि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने 2019-20 के लिए शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह के आंकड़े जारी नहीं किए हैं। लेकिन 12.33 लाख करोड़ रुपये के सकल कर संग्रह में से 1.84 लाख करोड़ रुपये के जारी रिफंड घटाने पर शुद्ध प्रत्यक्ष का संग्रह 10.49 लाख करोड़ रुपये बैठता है। वित्त वर्ष 2018-19 में शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 11.36 लाख करोड़ रुपये था। सीबीडीटी ने एक बयान में कहा, ‘‘यह एक वास्तविकता है कि 2019-20 में शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 2018-19 के मुकाबले कम रहा। लेकिन इसका अनुमान पहले से था। इसकी प्रमुख वजह 2019-20 के दौरान ऐतिहासिक कर सुधार है, जिसके चलते ज्यादा रिफंड जारी किए गए।
वित्त वर्ष 2019-20 में वास्तविक कॉरपोरेट कर संग्रह 6.78 लाख करोड़ रुपये और व्यक्तिगत आयकर संग्रह 5.55 लाख करोड़ रुपये रहा। इस प्रकार 2019-20 के लिए वास्तविक कर संग्रह 12,33,720 करोड़ रुपय रहा। वित्त वर्ष के दौरान कॉरपोरेट कर की दर में कटौती से 1.45 लाख करोड़ रुपये कर संग्रह में कमी आयी। वहीं व्यक्तिगत आयकर की सीमा पांच लाख रुपये तक बढ़ाने और मानक कटौती की सीमा 50,000 रुपये तक बढ़ाने से भी 23,200 करोड़ रुपये का कर संग्रह कम हुआ। यदि यह नहीं हुआ होता तो 2019-20 में कॉरपोरेट कर संग्रह 8.23 लाख करोड़ रुपये और व्यक्तिगत कर संग्रह 5.78 लाख करोड़ रुपये होता। इस तरह सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 14.01 लाख करोड़ रुपये होता, जो 2018-19 के मुकाबले 8.03 प्रतिशत अधिक रहता।
वित्त वर्ष 2019-20 में प्रचलित मूल्य पर देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 7.20 प्रतिशत रही। वित्त वर्ष 2019-20 में सीबीडीटी ने 1.84 लाख करोड़ रुपये के कर रिफंड जारी किए। यह 2018-19 के 1.61 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले 14 प्रतिशत अधिक है। ईवाई इंडिया के नेशनल टैक्स लीडर सुधीर कपाड़िया ने कहा चुनौती निकट भविष्य में देखने को मिलेगी। आर्थिक गतिविधियां अनुमान से ज्यादा सिकुड़ेंगी, जिससे सरकार की कर आय कम होगी। यह कोई अचंभे की बात नहीं होगी कि कर संग्रह में कमी वित्त वर्ष 2020-21 में भी जारी रहे।
सरकर ने पिछले साल सितंबर में किसी तरह की कर छूट इस्तेमाल नहीं करने वाली सभी घरेलू कंपनियों के लिए कर की दर घटाकर 22 प्रतिशत कर दी थी। इस तरह की कंपनियों को न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) के भुगतान से भी राहत दी गयी थी। वहीं किसी विशेष कर छूट का लाभ नहीं लेने वाली नयी घरेलू विनिर्माण कंपनियों के लिए कर की दर घटाकर 15 प्रतिशत कर दी गयी थी। इन्हें भी मैट से छूट दी गयी थी। जबकि मैट के तहत कर छूटों का लाभ उठाकर कर भुगतान करने वाली कंपनियों के लिए मैट की दर भी 18.5 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत कर दी गयी। इसी तरह व्यक्तिगत आयकर से छूट की सीमा बढ़ाकर पांच लाख रुपये की गयी है।

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