नई दिल्ली : कार्पोरेट मामलों के तहत काम करने वाली वित्तीय धोखाधड़ी जांच एजेंसी एसएफआईओ ने आईएल एंड एफएस मामले में धोखाधड़ी में शामिल संदिग्धों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर कदम उठाना शुरू कर दिया है। गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) ने दोषी आडिटरों के खिलाफ चूक को पकड़ने में देरी के कारणों का पता लगाने के लिये आरबीआई से विस्तृत आंतरिक जांच करने की सिफारिश की है।
एसएफआईओ ने कंपनी कानून के तहत आईएल एंड एफएस फाइनेंशियल सर्विसेज (आईएफआईएन) को कुछ लोगों की धोखाधड़ी के कारण हुए नुकसान की भरपाई के लिये मौजूदा प्रबंधन को जरूरी कार्रवाई करने की सिफारिश की है। गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) का नियमन केंद्रीय बैंक करता है। हालांकि इस दौरान आईएफआईएन पर कोई जुर्माना नहीं लगाया गया तथा उसे बिना सुधारात्मक कार्रवाई के काम करने दिया गया।
एसएफआईओ ने सिफारिश की है कि आरबीआई को मामले में देरी के कारणों का पता लगाने तथा उपयुक्त कार्रवाई के लिये आंतरिक जांच करनी चाहिए। केंद्रीय बैंक से भविष्य में इस प्रकार की धोखाधड़ी वाली गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिये जरूरी नीतिगत उपाय करने को कहा गया है। आडिटरों के बारे में अपनी सिफारिश में जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (एनएफआरए) तथा भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (आईसीएआई) को उपयुक्त प्रावधानों के तहत संबंधित आडिटरों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।
आईएल एंड एफएस तथा उसकी अनुषंगी इकाइयों द्वारा नकदी की समस्या के कारण बांड के पुनर्भुगतान में चूक के बाद इस बड़े घोटाले का पता पिछले साल चला। मार्च 2018 की स्थिति के अनुसार कंपनी के ऊपर बैंकों तथा अन्य कर्जदाताओं के 90,000 करोड़ रुपये से अधिक बकाया है। पिछले शुक्रवार को मुंबई में विशेष अदालत के समक्ष दायर आरोपपत्र में एसएफआईओ ने 30 इकाइयों / व्यक्तियों के खिलाफ वित्तीय धोखाधड़ी समेत विभिन्न नियमों के उल्लंघन के आरोप लगाये। इनमें से कुछ लोग पहले से न्यायिक हिरासत में हैं।